- कोरोना ने विदेश में भी दुर्गोत्सव के रंग को कर दिया है फीका
- लंदन में टेम्स नदी के किनारे कैमडन पूजा पंडाल की इस बार की थीम है- नमामि गंगे
- बंगाली समुदाय के शरदोत्सव में सभी लोग पारिवारिक माहौल में होते हैं शामिल
- कोरोना महामारी के कारण सरकारी गाइडलाइन के अनुसार एक साथ 15 से अधिक लोग नहीं हो सकते इकट्ठा
Sumana Adak
कोहराम लाइव डेस्क : Durga Puja @London : चौंक गए न। बात तो चैंकने वाली है ही कि आखिर भारत में गंगोत्री से निकलकर विभिन्न राज्यों का भ्रमण करते हुए मां गंगा सात समंदर पार लंदन कैसे पहुंच सकती हैं। जी हां, बात बिल्कुल सही है, पर मेरे कहने का संदर्भ अलग है और उसका भाव Durga Puja उत्सव से जुड़ा हुआ है। इसलिए बात कुछ अलग अंदाज में कहनी पड़ी। हम सब जानते हैं कि भारत के साथ विदेश में रहनेवाले भारतीय वहां भी दुर्गापूर्जा का आयोजन करते हैं। खासकर बंगाली समुदाय के लोग इसमें सर्वाधिक उत्साहित रहते हैं।
दुनिया के विभिन्न देशों में ब्रिटेन की राजधानी लंदन में टेम्स नदी के किनारे बंगाली समुदाय द्वारा कैमडन मंडप में मनाई जानेवाली दुर्गापूर्जा सर्वाधिक चर्चित है। इस बार यहां पूजा का वैसा भव्य आयोजन नहीं हो रहा है, जैसा पहले होता था। कोरोना ने वहां भी पूजा् के रंग को फीका कर दिया है, लेकिन इस बार पूजा के मंडप की थीम है नामामि गंगे। नजारे को देखकर ऐसा महसूस होता है कि लंदन में टेम्स नदी के किनारे गंगा का नजारा विराजमान हो गया है, तभी मेरे मुंह से निकला कि मां गंगा कहीं टेम्स नदी से मिलने लंदन तो नहीं पहुंच गई हैं।
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Durga Puja @London : ब्रिटेन के विभिन्न शहरों में 60 पूजा समितियां
इंग्लैंड के कई शहरों में भारतीय मूल के लोग दुर्गापूजा का आयोजन करते हैं। करीब 60 पूजा समितियां पूजा का आयोजन करती हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण केवल 15 जगहों पर ही पूजा का आयोजन किया जा रहा है। बर्मिंघम, साउथ लंदन, कैंब्रिज, एबरडीन, ग्लास्गो,स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग और अन्य पूजा समितयों ने कोरोना महामारी के कारण इस बार पूजा का आयोजन नहीं करने का निर्णय किया है। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार पूजा में एक साथ 15 लोगों से ज्यादा के शामिल होने पर पाबंदी है। लंदन दुर्गापूजा एसोसिएशन की ओर से हर वर्ष बेल्जिस पार्क के हेम्सटेड टाउन हॉल में की जानेवाली पूजा भी इस साल नहीं हो रही है। इस कारण लंदन में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोगों में उत्साह की कमी दिख रही है,फिर भी मां के प्रति भक्ति भावना से सभी ओतप्रोत हैं।
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1963 में शुरू हुआ पूजा का आयोजन
लंदन में रहनेवाले कुछ उत्साही बंगाली समुदाय के युवकों ने अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए वर्ष 1963 में कैमडन दुर्गापूजा समिति का गठन किया था और उसी साल से वहां पूजा शुरू हुई। कहा जाता है कि तत्कालीन अमृत बाजार पत्रिका के एडिटर-इन-चीफ तुषारकांति घोष ने कलकत्ता के कुमारटुली से मां दुर्गा की मूर्ति को जहाज से लंदन भेजा था। हर साल लंदन म्यूजियम से कैमडन मंडप तक जुलूस की शक्ल में बंगाली समुदाय के लोग मां दुर्गा की मूर्ति को ले जाकर स्थापित करते हैं और फिर विधिवत पूजा शुरू होती है। इस बार पूजा के उत्सव का रंग कोरोना के कारण कुछ फीका दिख रहा है, पर सभी परंपराओं का विधिवत पालन हो रहा है।
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मां की दिव्य शक्ति से होगा कोरोना महामारी का नाश
लंदन की कैमडन दुर्गापूजा समिति के वर्तमान अध्यक्ष जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद गुप्ता हैं। उनका कहना है कि हम एक परिवार के रूप में हमेशा पूजा का आयोजन करते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एक साथ पूजा समिति में 15 लोगों से ज्यादा की मौजूदगी नहीं हो सकती है। हम इस बार भी पूजा का आयोजन विधिपूर्वक कर रहे हैं। इसके लिए समिति के सभी सदस्य जी-जान से लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि मां दुर्गा की दिव्य शक्ति से कोरोना महामारी का नाश निश्चित रूप से होगा।
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