रांची: गंभीर मरीजों के लिए बने कोविड अस्पताल रिम्स में अधिकांश सामान्य बगैर लक्षण के मरीज भर्ती हैं। नतीजतन अब यहां गंभीर मरीजों को जगह मिलने में परेशानी हो रही है। भर्ती होने के लिए आने वाले मरीजों के पर्चे में नो बेड लिखकर उन्हें लौटा दिया जा रहा है। सोमवार को भी ऐसा ही मामला देखने को मिला। पलामू के लेस्लीगंज निवासी मनोज कुमार अपनी मां को लेकर रिम्स पहुंचे।
ऑक्सीजन सपोर्ट मरीज को भी नहीं मिला बेड
बेहोश मरीज एंबुलेंस में ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर थीं। लेकिन डॉक्टर ने मरीज के पर्ची पर स्पष्ट लिख दिया ‘नो बेड’। यह स्थिति लगभग तीन घंटे तक बनी रही। जैसे-जैसे एंबुलेंस का चालक ऑक्सीजन खत्म होने की चेतावनी देता, मनोज की बेचैनी और बढ़ती गई। आखिरकार एक पत्रकार के माध्यम से इसकी जानकारी कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार को दी गई।
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डॉ विवेक कश्यप की पहल पर मरीज को किया गया भर्ती
इसके बाद अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप की पहल पर मरीज को जैसे-तैसे भर्ती किया गया। मनोज ने बताया कि 8 सितंबर को एक बाइक ने उसकी मां को टक्कर मार दी थी। सिर में गंभीर चोटें आने के बाद 8 सितंबर को उसे राज अस्पताल में भर्ती कराया। 10 सितंबर को वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई। मनोज ने बताया कि वह गांव में जमीन बेच कर मां के इलाज में लगभग 2.5 लाख रुपये लगा दिए हैं। 13 सिंतबर को निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद राज अस्पताल से उसकी मां को रिम्स भेजा गया।
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