Ranchi (Pawan Thakur) : उस रात दीपिका गहरी नींद में थी। उसका मोबाइल देर रात 3 बजे से ही बजना शुरू हो गया। वह इग्नोर करती रही। भोर में 5 बजे के करीब उसने फोन उठा लिया। फोन आया था 62009….. नंबर से। फोन करने वाले शख्स ने दीपिका से कहा सगुफ्ता परवीन पंखे से लटक गयी है। जल्दी से उसे बचाओ। यह सुनते ही दीपिका भागी-भागी सगुफ्ता के कमरे तक पहुंची। दरवाजे को खूब पीटा पर अंदर से कोई आवाज नहीं आयी। वह चीखती-चिल्लाती रही पर अंदर कमरे से कोई हलचल तक नहीं हुई। घबराई दीपिका ने तुरंत सगुफ्ता की मां को फोन किया। वहीं शोर-शराबा सुन हॉस्टल में रहनेवाली अन्य लड़कियां भी जाग गयी थी।
घबराने लगा मां का जी, तेज हो गई पिता की धड़कन
दीपिका के बोलने के तौर-तरीके और अंदाज से मां का जी घबराने लगा। मां ने सगुफ्ता के पिता सेराज आलम अंसारी को यह बात बतायी। न जानें क्यों उनकी भी धड़कन तेज हो गयी। सेराज बोकारो के ललपनिया से भागे-भागे रांची पहुंचे। यहां लालपुर थाना क्षेत्र के श्रेया गर्ल्स हॉस्टल में बेटी सगुफ्ता रहती थी। वह रांची विमेन्स कॉलेज में कॉमर्स की थर्ड सेमेस्टर की छात्रा थी। सेराज जब पहुंचे तो उन्होंने देखा कि PCR कमरे का दरवाजा तोड़ चुकी थी और उनकी बेटी की डेड बॉडी फंदे पर लटकी थी। बेटी की यह हालत देख सेराज गश खाकर गिर पड़े। उनमें इतनी ताकत नहीं बची थी कि वह अपनी बेटी का पूरा कमरा झांक सके। वह चीखे… आखिर कोई तो बताओ, हुआ क्या था? वो कल रात 12 बजे तक तो बिल्कुल ठीक-ठाक थी। हंस-बोल रही थी। जो खाई, सो बताई। अपनी मां से खूब बातें की। आखिर चंद लम्हे में ऐसा क्या हो गया कि उसने खुद को मिटा लिया। हॉस्टल की लड़कियां चुप्पी साधी रही। वहीं पुलिस भी खामोश थी। हॉस्टल के मालिक समीर रंजन से CCTV फुटेज मांगते रह गए।
रात 3 बजे कई बार एक ही नंबर से आया था फोन
बेटी का ऐसा अंत देख बाप की नींद उड़ गयी। वह सच की खोज में जुट गए। सगुफ्ता के रूम के ठीक सामने रहनेवाली दीपिका को कई बार टटोला। तब दीपिका ने होले से सिर्फ इतना बताया कि घटना की देर रात उसके मोबाइल पर 3 बजे एक ही नंबर से कई बार फोन आया। भोर के 5 बजे जब फोन उठाई तो जो कुछ जाना, सुना और देखा, उसके होश उड़ गए। दीपिका से मिले नंबर पर पिता सेराज खुद यह जानने की कोशिश में जुट गए कि आखिर यह किसका नंबर है। जब जाना तो उस शख्स का चेहरा और उसकी हरकत उनके जेहन में रेंगने लगा।
छठी क्लास में थी तब तंग तबाह करता था एक लड़का
उन्हें याद आ गया वह पल, जब बेटी सगुफ्ता छठी क्लास में पढ़ा करती थी। तब मोहल्ले में ही अपने नाना के घर आकर पढ़ाई-लिखाई करने वाला एक लड़का, किस कदर उनकी बेटी को तंग-तबाह करता था। तब दोनों एक ही स्कूल में पढ़ा करते थे। नाना से कंप्लेन करने पर उसकी शायद पिटाई हो गयी थी। सेराज का दावा है कि इसी लड़के ने एक साजिश के तहत पहले उनकी बेटी को अपने जाल में फांसा। फिर ब्लैकमेलिंग कर उसे खुदकुशी करने के लिए मजबूर कर दिया। इस लड़के का नाम और उसकी पूरी दास्तां आज रांची के प्रभारी सिटी एसपी मो. नौशाद आलम को बताया गया। एसपी ने सिटी डीएसपी दीपक कुमार को मामले की तहकीकात करने का आदेश दिया।
लड़के ने कबूल की गलती
सबसे चौंकाने वाली बात यहां यह सामने आई कि जब सगुफ्ता के भाई ने इस लड़के को फोन किया तो उसने अपनी सारी गलती कबूल कर ली। हैरत की बात यह है कि वह डरा-सहमा तक नहीं। उसका मोबाइल अब भी ऑन है। वह हजारीबाग के एक गांव में रहता है। भाई ने कहा कि घटना की रात ही उसकी बहन सगुफ्ता ने अपने इंस्टाग्राम में पोस्ट किया था, “टूटी जिंदगी”।
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