वाशिंगटन: H-1B Visa holder को US Department Of State का संदेश। अमेरिकी विदेश विभाग ने H-1B Visa holder अस्थायी व्यापारियों की वीजा जारी नहीं करने का प्रस्ताव दिया है। बता दें कि यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को देश में प्रौद्योगिकी पेशेवरों को छोटे से कार्यकाल के लिए साइट पर जाकर काम करने की अनुमति देता है।
सैकड़ों भारतीयों को होगा नुकसान
डोनाल्ड ट्रम्प सरकार ने अगर इस प्रस्ताव को मान लिया तो सैकड़ों भारतीयों की रोजी-रोटी पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। US Department Of State के मुताबिक इस नियम से प्रतिवर्ष लगभग 8000 विदेशी कामगार प्रभावित होंगे।
अमेरिकी कुशल श्रमिकों को देंगे बढ़ावा
US Department Of State का कहना है कि अगर इस प्रस्ताव पर मुहर लगता है तो उन संभावनाओं और शंकाओं पर पूर्ण विराम लग जाएगा जो “बी-1 एच पॉलिसी के तहत” विदेशी पेशेवरों को कुशल श्रम के लिए अमेरिका में प्रवेश करने के लिए एक वैकल्पिक अवसर की इजाजत देता है।
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इससे अमेरिकी नियोक्ताओं को संभवत: अपने कुशल श्रमिकों को प्रोत्साहित करने का मौका मिल सकता है। इससे अमेरिकी श्रमिकों की रक्षा के लिए कांग्रेस द्वारा स्थापित “एच” गैर-आप्रवासी वर्गीकरण से संबंधित प्रतिबंधों और आवश्यकताओं को दरकिनार किया जा सकेगा।
H1B visa धारकों पर नजर
इससे कई भारतीय कंपनियों के प्रभावित होने की संभावना है जो अमेरिका में साइट पर नौकरियों को पूरा करने के लिए अपने तकनीकी पेशेवरों को बी-1 वीजा पर थोड़े समय के लिए भेजती हैं।
आइटी प्रोफेशनल्स के लिए प्लान
दिसंबर 2019 में, कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल ने इन्फोसिस लिमिटेड के खिलाफ $ 800,000 के जुर्माने की घोषणा की थी और कहा था कि लगभग 500 इंफोसिस कर्मचारियों ने राज्य में H1B visa की बजाय कंपनी द्वारा प्रायोजित B1 Visa पर काम किया है। विदेश मंत्रालय के इस प्रस्ताव से अमेरिका में विदेशी कार्यबल की संख्या कम हो सकेगी।
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