रांची : बड़कागढ़ Estate के परिवार के सदस्यों ने देवी मां को बांस की डोली में बिठाकर शोभायात्रा निकाली। दिन के 10:30 बजे ऐतिहासिक ठाकुर निवास बड़कागढ़ से आनी मौजा स्थित प्राचीन देवी घर के लिए निकाली गई। इसमें राजपरिवार के लोगों के अलावा इस्टेट के विभिन्न मौजा के पाहन, कोटवार, महतो, पनभोरा भी शामिल हुए। शोभयात्रा में आसपास के लोग शामिल हुए। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया।
भक्तिभाव से हुई पूजा-अर्चना
मां भगवती चंडिका का आविर्भाव मान-पत्ता, अशोक पत्ता, बेलपत्र, बेल, डुमर, पाकड़, आम्रपाली आदि से किया जाता है। मां को बांस की बनी डोली में बैठाकर ठाकुर निवास बड़कागढ़ जगन्नाथपुर से आनी सीमान स्थित प्राचीन देवी घर विग्रहों के साथ लाया गया। माता की शोभायात्रा में शंख, ढोल, ढाक, नगाड़ा, शहनाई, घंट, घंटी, तुरही जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग और भक्तों के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो गया। यह प्राचीन परंपरा हैं मां की डोली का पर्दा राज परिवार की बहू की साड़ी से ढंका और सजाया गया।
राजपुरोहित ने दिया आशीर्वाद
माता की पूजा-अर्चना के बाद आरती की गई और प्रसाद चढ़ाया गया। बड़कागढ़ स्टेट के राजपुरोहित ने सभी को आशीर्वादी के रूप में प्रसाद और फूल भी दिया गया। कोरोना महामारी को देखते हुए मास्क, सेनेटाइजर और सामाजिक दूरी का पालन किया गया। मां भगवती चिंतामणि से प्रार्थना की कि आप सभी का कल्याण करे और हमसबों पर अपना आशीर्वाद बनाएं रखें।
378 सालों से निभाई जा रही परंपरा
1642 से यहां दुर्गा पूजा ऐतिहासिक परंपराओं के साथ मनायी जा रही है। बड़कागढ़ इस्टेट की इष्ट देवी मां भगवती चिंतामणि एवं मां चंडिका (पत्रिका) की पूजा तांत्रिक पद्धति से की जाती है। बड़कागढ़ Estate के ठाकुर पूजा के यजमान होते हैं। विगत 35 वर्षों से ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव यजमान हैं। 1857 ई में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के जननायक स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव बड़कागढ़ इस्टेट के सातवें ठाकुर थे। ठाकुर ऐनी नाथ शाहदेव बड़कागढ़ Estate के प्रथम ठाकुर थे, जिन्होंने ऐतिहासिक धार्मिक श्री श्री जगन्नाथ स्वामी के विशाल मंदिर की स्थापना की।
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जगन्नाथपुर मंदिर की स्थापना 1691 में हुई
जगन्नाथपुर मंदिर की स्थापना उदयपुर परगना के जगन्नाथपुर मौजा में 1691 में की गई। ठाकुर एनी नाथ शाहदेव द्वारा 1642 से मां भगवती चिंतामणि व मां पत्रिका की पूजा प्रारंभ किया गया था। बड़कागढ़ इस्टेट बना उदयपुर और सिरी परगना जो छोटानागपुर का अभिन्न अंग था। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को फांसी होने के बाद उनके पुत्र ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव ने 1880 से आनी मौजा क्षेत्र में मां भगवती चिंतामणि (दुर्गा) की पूजा विधि विधान से शुरू की। उसी समय से आज तक परंपरा निभायी जा रही है।
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