Khunti (Pawan Thakur/Rajesh Singh) : बालू माफियाओं का राज बेखौफ खूंटी में कायम है। इन्हें रोकने, टोकने या फिर देखने वाला कोई नहीं। दिखावे के लिये कभी कभार बालू से लदे कुछ गाड़ियों को पकड़ा जरूर जाता है, पर कोई ठोस कार्रवाई कभी नहीं होती। बालू माफिया का अपना नेटवर्क है, इन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। जो कोई नेटवर्क में नहीं आता, उसे आउट आफ रेंज कर दिया जाता है। मतलब, उसकी गाड़ियां अगले ही दिन किसी थाने की जब्ती सूची रजिस्टर में नजर आती है। बालू कारोबार से जुड़े एक शख्स को कुछ दिन पहले बहुत परेशान किया गया, अब वह इस दुनिया में नहीं। खूंटी के नये पुलिस कप्तान अमन कुमार और एसडीओ सैयद रियाज अहमद के कड़े रूख के कारण माहौल कुछ बदला-बदला सा है। तीन दिन पहले तोरपा पुलिस ने बालू से लदे 8 गाड़ियों को जब्त किया, पर कोई माफिया पुलिस गिरफ्त में नहीं आया। सबके नाम पता और ठिकाने सब पुलिस के पास है, फिर भी पुलिस खामोश है। इसका मतलब हर किसी को पता है।
बालू माफियाओं का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि उसे भेद पाना बहुत आसान काम नहीं। इनके पैसे उग्रवादी संगठनों तक जाते हैं। गैरकानूनी तरीके से बालू के उठाव के कारण खतरा पुल और पुलिया पर है। सूत्र बताते हैं कि सरकारी प्रावधान यह है कि किसी भी पुल के 500 मीटर दूर से ही बालू उठाना है, पर अधिक कमाने की चाहत में माफिया पुल के नीचे से ही बालू बेखौफ उठा रहे हैं। इसके कारण कई पुलों पर इसका असर दिखने लगा है। लोगों को यह डर सताने लगा है कि कहीं सोनाहातू या तमाड़ की तरह यहां भी पुल या पुलिया ध्वस्त ना होने लगे।
मुरहू की बनई नदी, तोरपा में कारो और छाता नदी, कर्रा में कारो, रनिया में सोदे के पास कोयल नदी, खूंटी की जतना और बनई नदी के अलावा अन्य नदियों से बालू का अवैध कारोबार चलता है। तोरपा के कारो नदी पुल, कुल्डा जंगल, टाटी वन, उर्मी, गिड़ूम, बड़ाईक टोली, होटोर सहित कई जगहों पर अब भी लाखों सीएफटी बालू का अवैध भंडारण तस्करों द्वारा किया गया है। इसके अलावा रनिया, मुरहू, अड़की, खूंटी प्रखंड में भी दर्जनों स्थानों पर भारी मात्रा में अवैध बालू का भंडारण किया गया है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि खूंटी में बालू माफियाओं की लिस्ट बहुत लंबी-चौड़ी है। केवल तोरपा के कारो नदी से हर रोज 80 गाड़ियां बालू लेकर निकलती है। इन गाड़ियों का नंबर पहले से उनके पास रहता है, जिनकी जिम्मेदारी इन्हें रोकना है। प्रति गाड़ी 5 हजार रुपये चढ़ावा देना पड़ता है। यहां कारो नदी में “गोप” और “खान” की हुकूमत चलती है। नदी से बालू उठाने का काम ट्रैक्टर से होता है। एक ट्रैक्टर वाले को 300 रुपये मिलता है। इसमें से 110 रुपये लेबर को चला जाता है। ट्रैक्टर के जरिये बालू का पहले भंडारण होता है, इसके बाद हाइवा में लोड हो जाता है। बड़ा हाइवा में 9 ट्रैक्टर बालू लोड होता है। बालू लदे बड़े हाइवा को 2700 रुपये कीमत मिलते हैं। वहीं छोटे हाइवा को 2200 रुपये। यही बालू बिल्डर तक जाते-जाते 22 हजार से 25 हजार तक के हो जाते हैं। तोरपा से रांची आने में एक हाइवा 5 हजार रुपये का तेल पी जाता है। बालू तस्करों के किस्से अनेक हैं। ऐसा नहीं है कि खूंटी पुलिस इन तस्करों के अनजान है, पर बिकाऊ सिस्टम के खरीदार के बोली के आगे हर कोई नतमस्तक है। एक कद्दावर मंत्री ने इस ओर शासन-प्रशासन का ध्यान भी दिलाया है। नये पुलिस कप्तान और एसडीओ के तेवर से बालू की बहती धार में कुछ कमी जरूर आई है।
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