कोहराम लाइव डेस्क : Problems की जीवन में कमी नहीं है। हर तरफ समस्याएं ही समस्याएं हैं। हम बस इसी के चक्रव्यूह में फंसे रहते हैं। समस्याओं के कई कारण होते हैं। उनमें से एक है मोह। मोह से अज्ञान बढ़ता है और फिर शुरू हो जाते हैं Problems। महाभारत में धृतराष्ट्र को दुर्योधन से इतना मोह था कि वह अपने पुत्र को गलत काम करने से भी रोक नहीं सके। धृतराष्ट्र को पुत्र मोह की वजह से धर्म-अधर्म ज्ञान ही नहीं रहा था। अंत में सबकुछ बर्बाद हो गया।
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ज्ञान आने पर मोह नष्ट होता है, Problems में कमी आती है
महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था जब ज्ञान की धारा बहती है तो सबसे पहले मोह को नष्ट करती है। मोह को इसलिए नष्ट करती है, क्योंकि मोह अज्ञान है। मोह की वजह से जीवन में दुख ही आते हैं। मोह घर-परिवार से हो सकता है, सफलता का मोह हो सकता है, सुख-सुविधा और मान-सम्मान का मोह का हो सकता है। जहां मोह रहेगा, वहां दुख तो आएगा ही। मोह जब सफल होता है तो दुख मिलता है और जब असफल होता है तब भी दुख ही मिलता है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब को मोह त्याग देता है तो उसे मेरी कृपा मिल जाती है। मोह रहित व्यक्ति परम आनंद प्राप्त करता है। इसीलिए मोह का त्याग करना चाहिए और जो हमारे पास है, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। ज्यादा पाने का मोह रहेगा तो दुख बढ़ना तय है।
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