- कोविड-19 ने अब तक दुनिया के करोड़ों लोगों को संक्रमित किया, लाखों की मौत हुई।
- Corona को मात देने में लाखों लोग सफल हुए, पर इससे मानसिक रोगियों की तदाद में हो रहा इजाफा
- दुनिया में 97 करोड़ से अधिक लोग मानसिक बीमारी से ग्रस्त, इनमें 14 प्रतिशत भारतीय
कोहराम लाइव डेस्क : Mental Health : बेशक यह सूचना सुकून देती है कि Corona महामारी से स्वस्थ होने की दर दुनिया में 75 और भारत में 85 प्रतिशत से अधिक है, पर संक्रमण की स्थिति अभी भी नरम नहीं पड़ी है। जांच की गति जैसे ही तेज होती है, इसके सक्रमण की भयावहता समाने आने लगती है। डब्ल्यूएचओ की ओर से तो यहां तक आकलन किया गया है कि कोरोना से संक्रमितों के जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उससे वास्तविक मरीजों की संख्या बीस गुनी अधिक होगी अर्थात 70 करोड़ से अधिक लोग अब तक कोरोना से संक्रमित हो चुके होंगे। जाड़े में संक्रमण की गति तेज होने की आशंका भी जाहिर की जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इससे संक्रमित और असंक्रमित सभी तरह के लोगों में मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इसे मात देनेवाले लोग भी बड़ी संख्या में अवसाद यानी डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। मानसिक सेहत पर कोरोना के घातक पंजों का परिणाम चिंताजनक है।
Mental Health – दुनिया में 97 करोड से अधिक लोग मानसिक बीमारी से ग्रस्त
ताजा रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया है कि दुनिया में 97 करोड से अधिक लोग मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं। इनमें 14 प्रतिशत संख्या भारतीयों की है। कोरोना का असर इससे संक्रमित मरीजों की मानसिक स्थिति पर भी गहराई से पड़ता दिख रहा है। करोना और मानसिक लक्षणों पर अमेरिका में हुए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है। एनल ऑफ क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशिक शोध के अनुसार कोरोना वायरस आदमी के सोचने समझने की क्षमता को कमजोर कर रहा है। इसके कारण लोगों में भय, भ्रम और घबराहट की प्रवृत्ति बढ़ रही है। किसी बात का तुरंत जवाब न दे पाना और तंत्रिका संबंधी कार्यों की गति का धीमा होना जैसे लक्षण भी सामने आ रहे हैं।
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मौत की आशंका सामान्य से अधिक
शोध में अमेरिका के शिकागो के प्रारंभिक 509 मरीजों की Mental Health की स्टडी की गई है। ये मरीज पांच मार्च से छह अप्रैल 2020 के बीच भर्ती रहे हैं। ऐसा पाया गया है कि इन मरीजों में जिस प्रकार की मानसिक समस्या आ रही है, वह आगे चलकर सेहत के लिए खतरनाक है। ऐसे लोगों की मौत की आशंका सामान्य मरीजों की तुलना में सात गुनी अधिक हो जाती है। ऐसे मरीजों को अपने रोजाना के सामान्य कार्यों के लिए भी दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है।
मजबूत रखें इच्छाशक्ति
एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2017 तक लगभग 14 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी प्रकार के मानसिक विकार से ग्रसित थे। इनमें बड़ा हिस्सा बुजुर्ग महिलाओं का है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ के अनुसार 1990 से 2017 के बीच मानसिक रोगों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। दुनिया भर में मानसिक बीमारियों से ग्रसित लोगों में 60 प्रतिशत से अधिक का यह मानना है कि मानसिक बीमारी दैनिक अनुशासन और अपेक्षित इच्छाशक्ति की कमी के कारण हो रही है।
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आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने की आशंका
एम्स दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ.राजेश सागर ने बताया कि भारत में कोरोना से पहले तीन से पांच प्रतिशत लोग डिप्रेशन यानी अवसाद से पीडि़त थे। अब यह संख्या 10 फीसदी है। इसी तरह तनाव और घबराहट की बीमारी भी दो से तीन गुनी बढ़ी है। लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागररूक होने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी स्थिति में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने की आशंका है। समय पर इलाज मिले तो आत्महत्या की घटनाओं को रोका जा सकता है। मानसिक रूप से मजबूत होकर कोरोना वायरस को हराया जा सकता है।
कोरोना ने लोगों को किया भयभीत
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मनोचिकत्सक डॉ.आरपी बेनिवाल के मुताबिक इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी ने लॉकडाउन के दौरान 1685 लोगों पर ऑनलाइन सर्वे किया था। 38 फीसदी से अधिक लोगां में घबराहट की समस्या पाई गई। 10.5 प्रतिशत लोग अवसाद से पीडि़त थे। मॉडरेट स्तर का अवसाद तो 74 फीसदी लोगों में पाया गया। इसका कारण यह है कि लोग कोरोना से भयभीत थे।
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छह माह में रांची के रिनपास में आए आठ हजार से अधिक मामले
उल्लेखनीय है कि हर साल 10 अक्टूबर को हम Mental Health Day (मानसिक स्वास्थ्य दिवस) मनाते हैं, ताकि दुनिया के लोगों को मानसिक रूप से सेहतमंद रहने के प्रति जागरूक किया जा सके और मानसिक बीमारियों को दूर करने के लिए हर स्तर पर कारगर पहल हो सके। कोरोना महामारी इस संदर्भ में बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़ी है। झारखंड की राजधानी रांची के मनोचिकित्सक डॉ.सुयश सिन्हा का कहना है कि महीनों से चल रहे कोविड के प्रभाव के कारण लोगों को घरों में कैद रहना पड़ा, इससे तनाव, चिंता, भय और घबराहट झेलनी पड़ी।
हालिया रिपोर्ट से स्पष्ट है कि कोविड ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है। रांची स्थित रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ.विनोद महतो कहते हैं कि कोरोना काल में मानसिक रोगियों में वहम, भ्रम और भय अधिक देखने को मिल रहा है। लोग साधारण खांसी, सर्दी, बुखार में भी खुद को कोरोना मरीज मान रहे हैं। पिछले छह माह में आठ हजार से अधिक मामले रिनपास में आ चुके हैं। इनमें कई पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं, तो कइयों का इलाज जारी है।
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