कोहराम लाइव डेस्क : Corona संक्रमण दुनियाभर में काफी तेजी से फैल रहा है। संक्रमण का आंकड़ा करोड़ में पहुंच चुका है, जबकि मौत का आंकड़ा भी 10 लाख पार कर चुका है। हालांकि तीन करोड़ से अधिक लोग अब तक इस बीमारी से ठीक भी हो चुके हैं। लोगों की जान बचाने में सबसे अहम रोल जांच ने निभाई है। समय पर जांच की वजह से ही कई लोगों की जानें बचाई जा सकी है। वहीं भारत में भी Corona जांच का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ रहा है।
दुनियाभर में इस समय कोरोना की जांच के लिए तीन तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं, जिसमें स्वाब टेस्ट, ब्लड टेस्ट और स्लाइवा टेस्ट शामिल हैं। बता दें कि स्वाब टेस्ट को ही आरटी-पीसीआर टेस्ट के नाम से जाना जाता है, जबकि ब्लड टेस्ट में एंटीबॉडी और एंटीजन टेस्ट आते हैं।
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स्वाब टेस्ट कैसे होता है?
इस टेस्ट में एक कॉटन स्वाब (पतली रॉड पर रूई लगाकर) से व्यक्ति के गले और नाक के बीच के हिस्से से सैंपल लेकर टेस्ट किया जाता है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। गले और नाक के बीच के उस हिस्से को नेजोफ्रेंजियल कहा जाता है। यह शरीर का वह हिस्सा होता है, जहां वायरस लोड सबसे अधिक होता है।
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ब्लड टेस्ट कैसे होता है?
कई जगहों पर ब्लड टेस्ट के जरिए भी कोरोना की जांच की जा रही है। इसके लिए व्यक्ति का ब्लड सैंपल लिया जाता है और लैब में उसकी जांच की जाती है कि उसमें वायरस है या नहीं। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने तो एक ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जो महज 20 मिनट के अंदर ही बता देगा कि संबंधित व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं।
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स्लाइवा टेस्ट कैसे होता है?
इस टेस्ट के जरिए संक्रमण का पता लगाने के लिए व्यक्ति के लार का इस्तेमाल किया जाता है। एफडीए ने हाल ही में कोरोना की जांच के लिए इस टेस्ट को मंजूरी दी है। स्वाब टेस्ट की तुलना में यह टेस्ट कहीं अधिक सहज माना जाता है।
कौन सा टेस्ट है सबसे सुरक्षित?
वैसे तो आज के समय में कई मेडिकल कंपनियों और कुछ स्थानीय इकाइयों द्वारा सलाइवा टेस्ट का अधिक उपयोग किया जा रहा है, लेकिन कोरोना मरीजों की जांच के नमूने लेने के लिहाज से स्वाब टेस्ट को ही अधिक सुरक्षित माना गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अधिक सुरक्षित माना जाता है।