रांची । झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार 21 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा लागू नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने झारखंड सरकार के फैसले को गलत करार दिया है और अनुसूचित जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश दिया है।
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सरकार ने 13 जिलों को अनुसूचित जिला घोषित किया था
इस संबंध में 14 जुलाई 2016 को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की थी और सरकार ने 13 जिलों को अनुसूचित जिला घोषित किया था। इस अधिसूचना के तहत इन 13 जिलों को तृतीय और चतुर्थ वर्ग में नियुक्ति में स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया था।
हाईकोर्ट ने रद्द कर दी अधिसूचना
इस अधिसूचना के तहत 17 हज़ार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी और 15 हज़ार से ज़्यादा की अनुसंशा की जा चुकी थी। अनुसूचित जिलों में लगभग आठ हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। वहीं प्रार्थी सोनी कुमारी सहित अन्य ने अधिसूचना के खिलाफ हाइकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अधिसूचना रद्द कर दी। कोर्ट के आदेश के बाद अनुसूचित जिलों की नियुक्ति रद्द हो गयी है। गौरतलब है कि अब तक सरकार की नियोजन नीति में अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के लिए अयोग्य माना गया था, जबकि अनुसूचित जिलों के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे। परंतु कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य के किसी भी जिले का निवासी राज्य के किसी एक जिले से नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है।
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