Ranchi (Arti Gupta) : पापा एक उम्मीद है, एक आस है, परिवार की हिम्मत और विश्वास है। बाहर से सख्त और अंदर से नरम है। पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है। पिता जमीर है, पिता जागीर है, जिसके पास ये है वो सबसे अमीर है। पिता है तो बाजार का हर खिलौना अपना, दीवाली, होली, ईद सब अपना है। हर गलती पर रोकने टोकने और सही राह पर बाहें फैलाए खड़ा रहने वाला पिता ही एक ऐसा ग्लूकॉन-डी, जो हर कठिन डगर का ऊर्जा और ताकत है। आज fathers day है हर लाडली-लाडला अपने-अपने अंदाज में पिता को विश करने की तैयारी में जुटा है। कई तो ऐसे थे जो तैयारी में रतजग्गा तक कर गये। हर पापा को बस एक ही उम्मीद की मेरा नाम करेगा रौशन जग में मेरा राज दुलारा। बदले में चाहे वो मेरी सारी दुनिया ले ले। Father’s Day मनाने का रिवाज बहुत पुराना नहीं है। पहली बार 19 जून 1910 में अमेरिका में मनाया गया। Father’s Day मनाने के पीछे की दंत कहानी यह है कि अमेरिका की सोनोरा स्मार्ट डोड की मां नहीं थी। माता-पिता दोनों का प्यार उसे अपने डैडी से मिला। तब से ही Father’s Day मनाने का रिवाज शुरू हुआ। आइए सुनते है Father’s Day में जुटे कुछ लाडले-लाडलियों की जुबां
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