विश्रामपुर (पलामू) : कहते हैं मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है और जब भक्षक रक्षक बन जाए, तो क्या कहना। ऐसा ही एक मामला पलामू के विश्रामपुर के लवंगीदह से सामने आया है, जहां करीब 21 साल तक मोस्ट वांटेड नक्सली रहे भीम सिंह की मौत एक आठ साल के बच्चे को डूबने से बचाने के दौरान हो गई।
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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पलामू जिले के पांडू थाना अंतर्गत रतदाग गांव निवासी भीम सिंह (42) की सोमवार को लवंगीदह चेकडैम में डूब जाने से मौत हो गयी। वह अपने गांव के ही एक आठ वर्षीय बच्चे को चेकडैम में डूबने से बचाने के क्रम में डूब गया। मृतक भीम सिंह करीब 21 वर्षों तक सक्रिय नक्सली की भूमिका में रहे.
ग्रामीणों ने बताया कि दिन के करीब 11 बजे रतनाग निवासी अवधेश चौधरी अपने आठ वर्षीय पुत्र के साथ लवंगीदह चेकडैम में मछली मार रहा था। इसी दौरान अवधेश का पुत्र अचानक गहरे पानी में चला गया। बच्चे को डूबता देख भीम सिंह उसे बचाने के लिए चेकडैम में कूद गया और काफी मशक्कत के बाद उसने बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल दिया, परंतु पैर फिसल जाने के कारण भीम सिंह स्वयं गहरे पानी में गिरकर डूब गया।
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ग्रामीणों के अनुसार गहरे पानी में गिरे भीम सिंह संभवत: पानी के नीचे झाड़ियों में फंस गये, जिससे वे तैरकर वापस नहीं निकल सके। उनका शव झाड़ियों में फंसा मिला। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर मेदिनीनगर के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
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18 वर्ष की उम्र में पिपुल्स वार में शमिल हुआ था भीम सिंह
भीम सिंह महज 18 वर्ष की उम्र में तत्कालीन पिपुल्स वार नामक नक्सली संगठन में 1995-96 में शामिल हुआ था। तब के टॉप मोस्ट नक्सली नेता दधीचि राय और सुधीर के दस्ता में वह काफी दिनों तक सक्रिय रहा था। वर्ष 2000 के दिसंबर में जब पिपुल्स वार का एमसीसी में विलय हो गया, तब वह पिपुल्स गुरिल्ला आर्मी (पीजीए) का सदस्य बना और करीब डेढ़ दशक तक सक्रिय रहकर कई बड़े नक्सली कांडों में शामिल रहा। जब माओवादियों की पकड़ क्षेत्र में कमजोर पड़ गई, तब उसने अपनी गतिविधि कम कर दी थी, परंतु शीघ्र ही क्षेत्र में सक्रिय टीएसपीसी के दस्ता में शामिल हो गया। 2017 में वह संगठन से विमुख होकर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सरेंडर करने जा रहा था। मगर पाण्डू थाने के बूढ़ीखांड़ गांव के पास से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। गिरफ्तारी के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि वह सरेंडर करने जा रहा था। करीब दो साल जेल में रहने के बाद वह एक साल पहले जमानत पर बाहर आया था। तबसे वह सामान्य जीवन जी रहा था। भीम सिंह ने गांव में ही अंतरजातीय विवाह किया था, जिसके कारण भी उसे घोर विरोध का सामना करना पड़ा था। परंतु नक्सली होने के कारण लोग खुलकर विरोध नहीं कर पाए थे। उसके छोटे भाई विमलेश सिंह की असमय मौत सड़क दुर्घटना में करीब सात साल पहले हो गयी थी। भीम सिंह के पिता हरषु सिंह के दो ही पुत्र थे।