- राजनीतिक माहौल भांपने की गजब की काबिलियत के कारण कहे जाते थे मौसम वैज्ञानिक
- डीएसपी की नौकरी छोड़ बने राजनेता
कोहराम लाइव डेस्क : Ram Vilas Paswan बिहार ही नहीं देश की राजनीति में एक ऐसा नाम जो किसी परिचय के मोहताज नहीं। जीवन के पांच दशक से ज्यादा राजनीति में सक्रिय रहने वाले पासवान को उनकी राजनीतिक माहौल भांपने की गजब की काबिलियत के कारण अक्सर राजनीतिक गलियारे में मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था।
गुरुवार को 74 साल की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। कुछ दिन पहले ही उनकी हार्ट सर्जरी भी हुई थी। बेटे चिराग पासवान ने एक इमोशनल ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी।
केंद्र की राजनीति में हमेशा सक्रिय रहने वाले पासवान कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस, कभी आरजेडी तो कभी जेडीयू के साथ कई गठबंधनों में रहे और केंद्र सरकार में मंत्री बने रहे। उन्होंने विभिन्न सरकारों में रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली। रामविलास पासवान अपने राजनीति जीवन में लगभग हर मंत्रिमंडल में शामिल रहे। पासवान देश के 6 प्रधानमंत्री के साथ काम कर चुके हैं। पासवान समाजवादी धारा के बड़े नेताओं में शामिल रहे। वे आपातकाल के विरोध में हुए लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जेपी आंदोलन की उपज थे।
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डीएसपी की नौकरी छोड़ बने राजनेता
बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में जन्मे Ram Vilas Paswan यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर कर डीएसपी के पद पर चयनित हुए थे। पासवान की इस सफलता से परिवार के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं था, लेकिन पासवान को नौकरी कहा पसंद था, उन्हें तो राजनेता बनना था। समाजवादी नेता राम सजीवन के संपर्क में आने के बाद पहली बार 1969 में रामविलास पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने उसके बाद राजनीति में उनका सिक्का चलने लगा। लगभग हर मंत्रिमंडल में वो मंत्री पद पर रहे।
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दो शादी की, पहली पत्नी को दिया तलाक
राम विलास पासवान ने दो शादियां की थीं। उन्होंने 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से शादी की, जिन्हें उन्होंने 1981 में तलाक दे दिया था। पहली पत्नी से उषा और आशा दो बेटियां है। 1983 में उन्होंने एक पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से विवाह किया, जिनसे उन्हें एक बेटा चिराग पासवान और एक बेटी है।
1969 में पहली बार बने विधायक
पासवान 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने। आगे 1974 में पहली बार लोकदल के महासचिव बनाए गए। आपातकाल के दौरान जेल गए। फिर साल 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने चार लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था।
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बिहार की राजनीति के एक बड़ा दलित चेहरा
स्व. पासवान बिहार की राजनीति के एक बड़ा दलित चेहरा भी थे। बाबू जगजीवन राम के बाद बिहार में दलित नेता के तौर पर पहचान बनाने के लिए उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की।
50 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे
राम विलास पासवान ने 2019 में चुनावी राजनीति में अपने 50 वर्ष पूरे किए थे। इस दौरान उन्होंने छह प्रधानमंत्रियों की मंत्रिपरिषद में केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। पासवान ने विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई।
गुजरात दंगे के विरोध में एनडीए से तोड़ा था नाता
2002 में गुजरात दंगे के बाद विरोध में वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बाहर निकल गए तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल हो गए। दो साल बाद ही यूपीए की सरकार बनने पर वे मनमोहन सिंह की सरकार में रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाए गए। यूपीए 2 के कार्यकाल में कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में दूरी आ गयी। तब 2009 के लोकसभा चुनाव में वे हाजीपुर में हार गए थे। उन्हें मंत्री पद नहीं मिला।
2014 में एनडीए में वापसी के साथ ही बने मंत्री
2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडीयू के अपने पाले में नहीं रहने पर रामविलास पासवान का स्वागत किया और बिहार में उन्हें सात सीटें दी, जिनमें एलजेपी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की। रामलिवास पासवान, उनके बेटे चिराग पासवान और भाई रामचंद्र पासवान भी चुनाव जीत गए। राम विलास पासवान मंत्री बनाए गए। पीएम मोदी की वर्तमान सरकार में खाद्य, जनवितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में रामविलास पासवान ने जन वितरण प्रणाली में सुधार लाने के अलावा दाल और चीनी क्षेत्र में संकट का प्रभावी समाधान किया। वर्तमान में वे राज्यसभा सदस्य थे।