कोहराम लाइव डेस्क : सुख के Fundey को समझना जरूरी है। संसार में धन-दौलत का अहम स्थान जरूर है, मगर एक अच्छा घर वही है, जहां हंसी-खुशी-आनंद-प्रसन्नता-शांति रहती है। महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य हुए हैं। उन्होंने कहा है वह गृहस्थाश्रम धन्य है, स्वर्ग तुल्य है जिस गृहस्थाश्रम में ये विशेषताएं हों। जिस घर में सदा प्रसन्नता दिखाई देती हो, जिस घर में हंसने की, मुस्कुराने की स्थिति दिखाई देती हो, हंसने की आवाजें आती हों।
घर के लिए सुख-शांति कमाओ
चाणक्य ने अपने शिष्यों से कहा कि दौलत कमाओ या न कमाओ, लेकिन अपने घर में सुख, शान्ति, प्रसन्नता जरूर कमाओ। जो आदमी अपने घर में सुख-शान्ति नहीं रख सकता, प्रसन्नता से जीवन नहीं जी सकता, जिसके बच्चे मुस्कराते-हंसते न हों, जिसके घर में पति-पत्नी में प्रेम के संवाद न हों।
चाणक्य ने कहा था कि जिन भाइयों में प्रेम और सौहार्द न हो। जिस घर में ईर्ष्या रहती हो, वह घर स्वर्ग नहीं नरक है। दौलत आ भी जाए, तो उस दौलत का आप क्या करोगे? जहां चैन से बैठकर खा न सको, जहां चैन से सो न सको। जहां प्रसन्नता से आप जीवन न चला सको। वह घर, घर थोड़े ही है।
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ईर्ष्या से बढ़ता है कष्ट
नरक वह होता है जहां पर आग जल रही है, बीमारी का पस बह रहा है, जहां कोढ़ी बनकर लोग बैठे हुए हैं। एक दूसरे को काटा जा रहा है। जिस घर में बीमारी पीछा न छोड़े, लड़ाई खत्म ही न होती हो, रोज ईर्ष्या, द्वेष बढ़ता जाता हो, क्रोध की अग्नि बुझती ही न हो, रोज उसमें ईंधन डाला जाता हो। सोच लेना वहां नरक है। अच्छा घर वह है, जिस घर में आनन्द और प्रसन्नता हो। सुख के Fundey को समझें और जीवन में सुखी रहें।
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