कोहराम लाइव डेस्क : जीवन का Lesson : तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान, कहि रहीम पर काम हित, संपति संचहि सुजान…मतलब यह कि पेड़ कभी भी अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना पानी नहीं पीता है। इसी तरह जो लोग सज्जन हैं, वे अपने धन का उपयोग दूसरों की भलाई में करते हैं। रहीम की ये पंक्तियां उनके लिए है, जो अपने धन का उपयोग खुद को संवारने में ही करते हैं और समाज का कुछ भी भला नहीं करते। जबकि सज्जन लोग ऐसा बिल्कुल नहीं करते। हमें खुद से पहले समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए। इसी से हम महान बनते हैं।
रहीम के दोहों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। इन्हें अपनाने से हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। आइए उनके अन्य दोहों से भी जीवन की सीख Lesson लेते हैं।
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बुरे समय में मौन रहना ही अच्छा
रहिमन चुप हो बैठिए देखि दिनन के फेर, जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर…यानि कि जब बुरा समय चल रहा हो तो मौन रहना ही सबसे अच्छा रहता है। क्योंकि जब अच्छा समय आता बै, तब काम बनते देर नहीं लगती। इसलिए सही समय का इंतजार करना चाहिए।
रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुख प्रगट करेइ, जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ…इसका अर्थ यह है कि आंसू आंखों से बहकर मन का दुख प्रकट कर ही देते हैं। इसीलिए कहा गया है कि जिसे घर से निकाला जाता है, वह बाहर जाकर घर का भेद दूसरों को बता देता है।
एकाग्र मन से करने पर काम पूरे होते हैं
रहिमन मनहि लगाईं कै, देख लेहूं किन कोय, नर को बस करिबो कहा, नारायण बस होय…इसका अर्थ यह है कि जो लोग अपने मन को एकाग्र करके काम करते हैं, उनके काम जरूर पूरे हो जाते हैं। इसी तरह जो लोग एकाग्र मन से भक्ति करते हैं, भगवान भी उनके वश में हो जाते हैं यानि उन्हें भगवान की कृपा मिल जाती है।
मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय, फट जाए तो न मिले, कोटिन करो उपाय…यानि कि मन, मोती, दूध, रस जब तक खराब नहीं होते, तब तक ही मन को अच्छे लगते हैं। जब एक बार ये फट जाते हैं, यानी खराब हो जाते हैं या टूट जाते हैं तो वापस अपने अच्छे स्वरूप में नहीं आते।
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