कोहराम लाइव डेस्क : Happiness : सुखी जीवन के लिए संतुष्ट रहना भी जरूरी : जी हां, हम जीवनभर सुख की तलाश में रहते हैं। लेकिन फिर भी हमें सुख नहीं मिल पाता। इसके कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है इच्छा। इच्छाओं की वजह से ही कई परेशानियां बढ़ती हैं। इच्छाएं पूरी करने के लिए मन अशांत रहता है। जब कड़ी मेहनत के बाद भी कोई इच्छा पूरी नहीं हो पाती है तो मन उदास हो जाता है। इसीलिए सुखी जीवन और Happiness के लिए व्यक्ति को हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए।
बुरे समय में ज्यादा दुखी न हों
हमें बुरे समय में बहुत ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए और सुख के दिनों में भी बहुत ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए। सुख हो या दुख, हमें हर हाल में समभाव यानी संतुष्ट रहना चाहिए। जो लोग इस नीति का पालन करते हैं, उनके जीवन में शांति बनी रहती है।
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गुरु ने शिष्य को दी शिक्षा
महाभारत में दी गई नीति का महत्व एक लोक कथा से समझ सकते हैं। कथा के अनुसार किसी आश्रम में एक भक्त ने गाय दान में दी। शिष्य ने अपने गुरु को इस बारे में बताया। गुरु ने कहा कि अच्छी बात है अब हमें ताजा दूध मिलेगा। शिष्य प्रसन्न था। अब उन्हें रोज ताजा दूध मिल रहा था। सेहत अच्छी हो गई।
कुछ दिन बाद गाय कहीं चली गई। इस बात से शिष्य दुखी हो गया। अब उसे ताजा दूध नहीं मिल पा रहा था। ये बात गुरु को बताई तो गुरु ने कहा कि ये भी अच्छा है अब हमें गाय के गोबर की सफाई नहीं करनी होगी। हमारा समय बचेगा। भक्ति करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा।
इच्छाओं के चक्कर में न उलझें
शिष्य ने कहा कि गुरुजी अब हमें ताजा दूध नहीं मिलेगा। गुरु ने कहा कि तो क्या हुआ? जीवन में हमें संतुष्ट रहना चाहिए। यही सूत्र हमारे जीवन में शांति लेकर आता है। अगर संतुष्टि की भावना नहीं होगी तो हमारा मन अशांत रहेगा। इसीलिए इच्छाओं के चक्कर में नहीं उलझना चाहिए। जीवन में संतुष्ट रहना भी सीखना चाहिए।
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