मुंबई : कोरोना की मार और लॉकडाउन के कारण कई सितारे अर्श से फर्श पर आ गए हैं। काम बंद होने और आर्थिक तंगी के कारण बड़े-बड़े नामचीन लोगों को भी विकट परिस्थिति से जूझना पड़ रहा है। ऐसे ही संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं सुपर-डुपर हिट सीरियल के डायरेक्टर रामवृक्ष गौड़। मुंबई में दो दशक के स्ट्रगल के बाद अपना अलग मुकाम बनाने वाले श्री गौड़ ने बालिका वधू, सुजाता, कुछ तो लोग कहेंगे, इस प्यार को क्या नाम दूं, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, जूनियर जी जैसे सफल धारावाहिकों का लंबे समय तक निर्देशन किया। लेकिन कोरोना की मार ऐसी लगी कि आज वे सड़क पर सब्जी बेचने को मजबूर हैं।
प्रोजेक्ट पर लगा ग्रहण और मुसीबत शुरू हुई
रामवृक्ष गौड़ इस वर्ष मार्च महीने में अपने परिवार के साथ मुंबई से अपने गांव आये थे। फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में ही वे गांव गए थे। एक फिल्म के लिए शूटिंग की योजना बना रहे थे। तभी कोरोना से देशव्यापी लॉकडाउन शुरू हो गया और उनके चल रहे सभी प्रोजेक्ट पर एक साल के लिए ग्रहण लग गया। अचानक ऐसा होने से उन्हें आर्थिक तंगी शुरू हो गई। शुरुआत के कुछ महीने में जमापूंजी से काम चल गया। पर कुछ समय से आजीविका की परेशानी खड़ी हो गई। मजबूरी में पिता के सब्जी बेचने के व्यवसाय को ही चुना। अब वे भी पिता की ही तरह सब्जी बेचकर गुजारा करना शुरू कर दिया।
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आजमगढ़ के रहने वाले हैं
आजमगढ़ के अपने गांव से करीब 18 साल पहले रामवृक्ष कुछ बनने के इरादे से अपने दोस्त के साथ मुंबई गये थे। बॉलीवुड में खुद को स्थापित करने के पहले कई सारे काम किये। फिर टीवी प्रोडक्शन में काम करने लगे। इसके बाद निर्देशन में हाथ आजमाया और इसमें सफलता भी हाथ लगी। कई हिट सीरियल का निर्देशन कर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।
मुंबई में अपना घर भी है

वर्तमान में एक भोजपुरी और एक हिंदी फिल्म में काम करने वाले थे। लेकिन सभी का निर्माण एक साल के लिए टल गया है। मुंबई में उनका अपना मकान भी है। मगर अभी वे कोई काम हाथ में नहीं है तो उन्हें आजमगढ़ में सब्जी बेचना ही ठीक लगा। उन्हें विश्वास है कि जीवन एक बार फिर पटरी पर आएगी और वे मुंबई जाकर अपना काम शुरू कर पाएंगे।
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