UP : जिस तौर, तरीके और अंदाज से कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को कोर्ट परिसर में भूना गया, उससे सहसा लोगों को माफिया अतीक अहमद व अशरफ की हत्या याद आ गई। जीवा को वकील के लिबास में आये शूटर ने टपका दिया, वहीं अतीक और अशरफ को पत्रकार बनकर मारा गया था। अतीक व अशरफ भी पुलिस अभिरक्षा में थे, वहीं जीवा भी पुलिस अभिरक्षा में कोर्ट में पहुंचा था। वारदात के बाद सोशल मीडिया पर यह बातें खूब चर्चा हो रही है। मारा गया जीवा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का सबसे करीबी शूटर माना जाता था। वह कुख्यात शूटर मुन्ना बजरंगी के सहारे गैंग से जुड़ा था। दोनों हथियारों के सौदागर भी थे। मुन्ना पहले ही बागपत जेल में मारा जा चुका है। अब जीवा भी मारा गया। पुलिस मुन्ना बजरंगी की हत्या करने वाले सुनील राठी गैंग से कनेक्शन को लेकर पड़ताल कर रही है। कुख्यात संजीव उर्फ जीवा को मारने वाले विजय यादव का कोई बड़ा आपराधिक इतिहास नहीं है। कुख्यात संजीव से उसकी कोई सीधे अदावत रहने की बात भी सामने नहीं आई है। आशंका जताई जा रही है कि विजय को मोहरा बना जीवा को रास्ते हटाया गया। जौनपुर का रहने वाला विजय बीते 3 साल से मुंबई में रहा। पुलिस जौनपुर व मुंबई का कनेक्शन तलाश रही है। पुलिस यह पता कर रही है कि वह किसी गैंगस्टर का करीबी तो नहीं। वहीं मुंबई में उसका किस-किस से गहरा ताल्लुकात है। जीवा को टपकाने की खातिर वह हथियार कहां से लाया। विजय ने एक पेशेवर शूटर की तरह पूरी वारदात को अंजाम दिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वकील के लिबास में विजय यादव लखनऊ कोर्ट परिसर में घात लगाये बैठा रहा। उसपर किसी को कोई शक नहीं हुआ। जीवा जैसे ही कोर्ट रूम के कटघरे की तरफ बढ़ा वैसे ही विजय यादव ने उसपर ताबड़तोड़ गोलियां दागनी शुरू कर दी, पलक झपकते ही जीवा का काम तमाम हो गया। रिवाल्वर की पूरी छह गोलियां खाली कर दी गई। जीवा के पहुंचने से पहले ही विजय कोर्ट परिसर में पहुंच गया था। काली कोट, हाथों में फाइलें लिए एससी-एसटी कोर्ट रूम के बाहर वह बैठ गया था। कोट के अंदर उसने रिवाल्वर छिपा रखी थी। जीवा को आता देख ही वो एक्टिव हो गया। जीवा कोर्ट रूम के भीतर गया तो वह भी पीछे से घुस गया। जैसे ही जीवा के केस की बारी आई और वह उठकर चला, तब विजय ने उसपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। जीवा को पीछे से गोलियां मारी गई। उसे पीछे पलटने का मौका तक नहीं मिला। खून से लथपथ जीवा औंधे मुंह गिर गया। गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा कोर्ट परिसर में तहलका मच गया। जीवा की अभिरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी को कुछ समझने तक का मौका नहीं मिला, पुलिस जवाबी कार्रवाई तक नहीं कर सकी। पुलिसकर्मी भी चोटिल हुये। विजय वारदात को अंजाम देकर तेजी से कोर्ट रूम से निकला और दौड़ने लगा। चूंकि वकीलों की संख्या अधिक थी, इसलिए उसको दबोच लिया गया। पूरी प्लानिंग से यह मर्डर किया गया।
दवा दुकान का सेल्समैन जीवा बड़का शूटर बन गया
अपराध जगत में आने से पहले जीवा एक दवा दुकान में काम करता था। सबसे पहले वह उत्तराखंड के नाजिम गैंग से जुड़ा, इसके बाद सतेंद्र बरनाला गैंग के लिए काम करने लगा। बाद में मुन्ना बजरंगी का हाथ थाम लिया। देखते ही देखते वह माफिया मुख्तार अंसारी का सबसे करीबी हो गया। जीवा हथियारों का सौदागर भी था। वो अत्याधुनिक हथियार AK 47 तक बड़े आसानी से जुटा लेता था। जीवा यूपी में चिह्नित 66 माफिया में से 15वें नंबर पर था। माफिया की ये सूची हाल में शासन ने बनाई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जीवा कितना कुख्यात और खूंखार था। यूपी से लेकर उत्तराखंड तक जीवा के नाम का खौफ था। जीवा ने साल 1991 में मुजफ्फनगर में पहला क्राइम किया था। तब उसके खिलाफ कोतवाली नगर में मारपीट का केस दर्ज किया गया था। जीवा के खिलाफ मुजफ्फरनगर में 17, लखनऊ में 1, उत्तराखंड में 5, फर्रुखाबाद जनपद में 1और गाजीपुर जनपद में 1 मामले दर्ज है। पुलिस फाइल में जीवा पर कुल 25 मामले दर्ज हैं। जीवा पिछले दो दशक से जेल में बंद था। उसको भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड व हरिद्वार के एक हत्या के केस में सजा हा चुकी थी। 2019 में वह मैनपुरी से लखनऊ जेल शिफ्ट किया गया था। तब से वह लखनऊ जेल में बंद था। उसको हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था।
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