2019 में खोजे गए नए जंतु प्रजातियों का ब्योरा इसी सप्ताह करेंगे जारी : पर्यावरण मंत्रालय
रांची : भारत में कुल 2,444 नई प्रजातियों की खोज पिछले 10 साल में की गयी है| साल 2019 में देश में 368 नई जंतु प्रजातियां खोजी गयी, जिनमे से 116 प्रजाति पहली बार नज़र में आयी|2010 में सबसे कम केवल 28 नई प्रजातियों की पहचान हुई थी, लेकिन इसी साल दुनिया में पहले से पाए जाने वाले 257 जंतुओं को पहली बार देखा गया, जो बीते 10 वर्षों में सबसे अधिक है। सभी नए जंतुओं का चित्र व उसकी पूरी जानकारी को जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) ने ‘एनिमल डिस्कवरीज-2019 : न्यू स्पीशिज एंड न्यू रिकॉर्ड’ में प्रकाशित किया है।
तमिलनाडु के सालेम में मिली छिपकली का नाम वैज्ञानिक इशान अग्रवाल के नाम पर ‘अग्रवाली’, रखा गया है।
तमिलनाडु के सालेम में मिली छिपकली का नाम वैज्ञानिक इशान अग्रवाल के नाम पर ‘अग्रवाली’, महाराष्ट्र के अंबा के पास मिली छिपकली का ‘अंबा’ रखा गया है। तमिलनाडु के नीलगिरी में मिली छिपकली का नाम विज्ञानी आनंदन सीतारमण के नाम पर ‘आनंदानी’, सालेम में मिली छिपकली का नाम प्राकृतिक विज्ञान में अहम योगदान देने वाले तेजस ठाकरे के नाम पर ‘ठाकरे’ रखा गया है।
एक वर्ष में लगभग 15 से 18 हजार तक नई प्रजातियों की खोज व उनका वर्गीकरण हो पाता है|
केरल के इडुक्की में मिली छिपकली का नाम देश में बॉटनी में पहला डॉक्टरेट हासिल करने वाली जानकी अम्माल के सम्मान में ‘जानकी’ और केरल के पट्टनमिथिट्टा में मिली मछली का नाम इलाके के प्रसिद्ध राजा ‘महाबली’ के नाम पर रखा गया। कैलाश चंद्र के मुताबिक, दुनियाभर में सालाना 15 से 18 हजार नई प्रजातियों की खोज व उनका वर्गीकरण हो पाता है। जेडएसआई ने नई प्रजातियों की खोज व वर्णन के लिए डीएनए बारकोडिंग, जीनोम सीक्वेंसिंग, एक्सरे जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी भी धरती पर मौजूद 10% वर्टिब्रेट्स (मेरुदंड वाले प्राणी), 50% आर्थ्रोपोड्स (कीट-पतंगे) और 90% प्रोटोजोअन्स (एक कोशिकीय प्राणी) की खोज व पहचान होना बाकी है।
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