कोहराम लाइव डेस्क : Navratri की धूम चारों तरफ है। सभी देवी की पूजा में लीन हैं। षष्ठी पूजा पर मां का पट खुल जाता है। नेत्रदान और विशेष पूजा के बाद पंडालों में मां के दर्शन होने लगेंगे। षष्ठी को देवी के रूप मां कात्यायनी की पूजा होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी देशवासियों को षष्ठी पूजा की बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि Navratri -नवरात्रि की षष्ठी पर मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। मेरी कामना है कि माता कात्यायनी आप सभी को सदा निरोग रखें और उज्ज्वल भविष्य प्रदान करें।
शादी में आ रही बाधा दूर करती हैं मां कात्यायनी
माता कात्यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है। भगवान बृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से मां की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता कात्यायनी की उपासना से भक्त को अपने आप आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां मिल जाती हैं। साथ ही वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। मां कात्यायनी की उपासना से रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।
मां कात्यायनी के बारे में जानें
मान्यता है कि महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है। मां कात्यायनी को ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर मां कात्यायनी की ही पूजा की थी। कहते हैं, मां कात्यायनी ने ही अत्याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था।
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मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है। इनकी चार भुजाएं हैं। मां कात्यायनी के दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। मां कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं। मां कात्यायनी को पसंदीदा रंग लाल है। मान्यता है कि शहद का भोग पाकर वह बेहद प्रसन्न होती हैं। नवरात्रि के छठे दिन पूजा करते वक्त मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा
Navratri की षष्ठी को स्नान कर लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें। सबसे पहले घर के पूजा स्थान नया मंदिर में देवी कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब गंगाजल से छिड़काव कर शुद्धिकरण करें। अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक रखें। अब हाथ में फूल लेकर मां को प्रणाम कर उनका ध्यान करें।
इसके बाद उन्हें पीले फूल, कच्ची हल्दी की गांठ और शहद अर्पित करें। धूप-दीपक से मां की आरती उतारें। आरती के बाद सभी में प्रसाद वितरित कर स्वयं भी ग्रहण करें।
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मां कात्यायनी की आरती
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे