- रांची के ओरमांझी प्रखंड के मनातू गांव के अनेक परिवार झेल रहे गरीबी की मार
- कई भूमिहीन गरीबों का नाम अभी तक बीपीएल सूची में नहीं जोड़ा गया है
- कोरोना ने झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पैदा किया रोजगार का गंभीर संकट
- मेहनत से लोगों द्वारा बनाए गए सामान की बिक्री के लिए नहीं है बाजार
मोहसिन आलाम, ओरमांझी : Manaatu : यहां बांस की टोकरी चलाती है जिंदगी की गाड़ी… कोरोना महामारी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में लाखों लोगों को संक्रमित किया। एक लाख से अधिक लोगों की जान ले ली। लाखों लोगों को पलायन का शिकार बनाकर बेरोजगार कर दिया। रोजगार और बाजार की दृष्टि से शहरों की अपेक्षा गावों के लोगों का जीवन अधिक प्रभावित हुआ। रोजगार के साधन बहुत सीमित हो गए। लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे बाजार की गतिविधियां जरूर बढ़ी हैं, फिर भी लोगों का संकट दूर नहीं हुआ है। इसी प्रकार का संकट झेल रहे हैं रांची के ओरमांझी प्रखंड के Manaatu गांव के अनेक परिवार। आज के समय में गांव के लोगों की जिंदगी की गाड़ी बांस की टोकरी के भरोसे आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है, पर मुसीबत है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही है।
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शादी-ब्याह बंद होने से बढ़ी Manaatu के लोगों की समस्या
राज्य सरकार भले ही लोगों को रोजगार देने की बात कहती हो, लेकिन हकीकत इससे इतर है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर देखने को मिलता है। वर्तमान संकट के समय ओरमांझी प्रखंड के पांचा पंचायत के विस्थापित गांव Manaatu के लोग बांस खरीदार उनसे टोकरी, हाथपंखा, खचिया, सूप, डाली और शादी के अन्य अनेक सामान बनाकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। बाजार की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग अपने सामान गांव-गांव घूमकर बेचते हैं। बांस के सामान बेचकर ही उन्हें अपना गुजर-बसर करना पड़ता।
सरकार और प्रशासन से दूर रहने वाले कई भूमिहीन गरीबों का नाम बीपीएल सूची में अभी तक नहीं जोड़ा गया है। लॉकडाउन के कारण शादी-विवाह बंद हो जाने से बांस की टोकरी बनाने वाली ग्रामीण महिलाओं एवं पुरुषों के लिए समस्या बढ़ गई है। उनका कहना है कि बांस की कीमत अधिक हो जाने के कारण भी रोजगार का संकट और गंभीर हो गया है।
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महिलाएं अधिक कुशल
गांव के लोगों को स्थानीय प्रतिनिधि और सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती है। अगर सरकार द्वारा सहायता राशि मिलेगी, तो बांस के काम से कई लोगों को बेहतर रोजगार मिल सकता है। इस क्षेत्र में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं बांस के सामान बनाने में अधिक कुशल हैं।
मूलभूत सुविधाएं और बाजार उपलब्ध कराए सरकार
ओरमांझी पूर्वी की जिला परिषद सदस्य सरिता देवी ने बताया कि सरकार की ओर से कुछ राशि सहयोग के रूप में मुहैया कराने से यहां के लोग आत्मनिर्भर बन सकते हैं। मनातू ओरमांझी प्रखंड का अति पिछड़ा विस्थापित गांव है। यहां के लोग लंबे समय से गरीबी से जूझ रहे हैं। हेमंत सरकार इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं और बाजार उपलब्ध कराए।
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