कोहराम लाइव डेस्क : शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन Mahanavmi महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। साथ ही 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक ही नवमी तिथि होने के कारण शाम को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा। दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भारत में दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का बड़ा प्रतीक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा, दिवाली से ठीक 20 दिन पहले अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री ने दी बधाई
विजयदशमी और दशहरा पर्व पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी को बधाई दी है। राष्ट्रपति ने कहा है कि यह पर्व अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने अपने बधाई संदेश में कहा कि यह महापर्व हर किसी के जीवन में नई प्रेरणा लेकर आए।
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यश, बल के साथ धन देती हैं मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री यश, बल के साथ धन देती हैं। Mahanavmi पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप की आराधना के दिन बैंगनी या जामुनी वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। रविवार को ही व्रती हवन पूजन के साथ व्रत का पारण करेंगे।
क्यों मनाया जाता है दशहरा
लंका में भगवान श्रीराम के हाथों रावण का वध होने के बाद से ही इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार भी किया था, इसलिए भी इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। दुनिया भर में कोरोना काल के बीच भारत के तमाम उत्सव भी इस बार फीके नजर आ रहे हैं। देश भर में मनाया जाने वाला दशहरा का पर्व भी अब सांकेतिक तरीके से मनाया जाएगा। बढ़ते संक्रमण के बीच इस साल दुर्गा पूजा और रावण दहन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होना है।
पितृपक्ष के बाद अधिकमास लगने से इस बार नवरात्र, दशहरा और सभी एक महीने देर से आए हैं। 17 अक्टूबर से नवरात्रि का शुभारंभ हुआ है और 24 अक्टूबर को रामनवमी के अगले ही दिन पूरे देश में दशहरे का पर्व मनाया जाएगा। इसके ठीक 20 दिन बाद यानी शनिवार, 14 नवंबर को दीवाली का पर्व मनाया जाएगा।
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पूजा की विधि
विजयदशमी के दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। प्रणाम कर शमी पूजन मंत्र पढ़े। इसके बाद यह प्रार्थना करें कि सभी दिशा-दशाओं में आप विजय प्राप्त करें। अगर आपके परिवार में अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्र उस पर रखें। फिर गंगाजल छिड़क कर पुष्प अर्पित करें। साथ ही यह प्रार्थना करें कि संकट पड़ने पर यह आपकी रक्षा करें। इस दिन भगवान श्रीराम की उपासना करने का बहुत अधिक महत्व होता है। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें। फिर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भगवान श्री राम की उपासना करें। अंत में आरती करें।
दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4 बजकर 46 मिनट से 5 बजकर 27 मिनट तक, संध्या पूजा का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 41 से 6 बजकर 58 मिनट तक, अमृत काल का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 14 से 6 बजकर 57 मिनट तक।
विजयदशमी पर पूजा के फायदे
इस दिन भगवान राम और महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इससे सम्पूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है।