kohramlive desk : इंडियन आर्मी अब पहले की अपेक्षा दुश्मनों से मुकाबला करने में अधिक स्ट्रांग हो चुकी है। इस दृष्टि से 100 के-9 वज्र-टी तोपों को सेना में शामिल किया जाना अहम है। इसी साल फरवरी में एलएंडटी ने थलसेना प्रमुख, जनरल एमएम नरवणे को 100वीं तोप सौंपी थी। एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी K-9 वज्र-टी तोपों को तैनात कर दिया है। इन्हें लद्दाख के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 12000 से लेकर 16000 फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया है।
जीरो रेडियस पर चारों तरफ घूमकर वार करने की क्षमता
के-9 वज्र-टी तोप की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है। यह जीरो रेडियस पर चारों तरफ घूमकर वार कर सकती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की 50 टन वजनी तोप से 47 किलो का गोला फेंका जा सकता है। यह तोप 15 सेकंड के अंदर 3 गोले दागने में सक्षम है। इसमें 155 मिमी की तोप लगी है, जिसकी रेंज 18 से 52 किमी है। इसका ताकतवर इंजन इसे 67 किमी प्रति घंटे की रफ्तार देता है। इसमें 5 सैनिकों का क्रू होता है, जो किसी टैंक की तरह मजबूत बख्तर से पूरी तरह सुरक्षित होता है।
80 फीसदी स्वदेशी हैं ये तोपें
इन तोपों को किसी ट्रक या किसी दूसरी तरह से खींचने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि इनमें टैंक की तरह व्हील लगे होतें हैं और खुद रेगिस्तान और पहाड़ों तक में दौड़ सकती हैं। दक्षिण कोरियाई कंपनी और एलएंडटी ने इसका साझा निर्माण किया है। गुजरात के हजीरा में इसके लिए जनवरी, 2018 में निर्माण इकाई शुरू की गई। नवंबर 2018 में इसे भारतीय सेना में शामिल किया गया था। यह 80 फीसदी स्वदेशी है। 1000 एमएसएमई कंपनियों ने इसके पुर्जे बनाए हैं।
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