कोहराम लाइव डेस्क : Chanakya Neeti : कपटी लोगोंं से बनाएं दूरी, नहीं तो… ! इस कलयुग के समय में लोगों पर अन्धविश्वास करना पड़ सकता है भारी। Chanakya Neeti को आज भी उतनी ही मान्यता है, जितनी उनके समय में था। Chanakya Neeti में कथित हर एक बात अपने आप में ही सिद्ध करता है और आज के दिनों में भी Chanakya Neeti को फॉलो किया जाता है।
Chanakya कौन थें?
Chanakya (BC 376 -BC283) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे ‘कौटिल्य’ नाम से भी विख्यात हैं। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
आचार्य Chanakya की नीति
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े हर पहलू का जिक्र किया है। भले ही आपको विचार या नीतियां कठोर लगे, लेकिन जीवन की हकीकत यही है।
“वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है, अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते हैं।”
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि किस तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति से दूरी बनाकर रखनी चाहिए, वरना वह खुद के साथ दूसरों का भी अहित करता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से जंगल की आग ठंडक देने वाली चंदन की लकड़ियों को भी जला देती है, ठीक उसी तरह दुष्ट व्यक्ति जब बुरा करता है तो वो किसी का भी बुरा कर सकता है।
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चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के मन में दुष्टता यानी छलकपट, राग द्वेष भरा होता है। उनसे दूर रहना ही उचित होता है, क्योंकि वह बुरा करते समय ये नहीं सोचता कि वह किसका बुरा कर रहा है। वह अपने स्वभाव के अनुरूप ही बर्ताव करता है। कई बार इस तरह से स्वभाव वाले व्यक्ति के संपर्क में आने पर भले स्वभाव के मनुष्य का अहित हो जाता है।उनके अनुसार अगर दुष्ट व्यक्ति अपने स्वभाव पर उतर आता है, तो वह किसी का भी अहित या नुकसान पहुंचा सकता है।
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