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नए किसान बिल पर सदन से सड़क तक बवाल, जानिए क्या है इस बिल में, क्यों हो रहा विरोध

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- कुछ लोग किसानों को भड़का रहे

नई दिल्ली : कृषि सुधार के लिए पेश किए विधेयक गुरुवार को लोकसभा से ध्वनिमत से पारित हो गया। मोदी सरकार द्वारा व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक पास कराए गए, जबकि आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 बिल पहले ही पास किया जा चुका है। अब इन्हें राज्यसभा में पेश किया जाना है, जहां जरूरी समर्थन मिलने के बाद यह कानून बन जाएंगे।

मगर विधेयकों के संसद में पेश होने के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध के बावजूद मोदी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि कुछ लोग किसानों को भड़का रहे हैं। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बिल को किसानों के हित में बताया।

सरकार का कहना है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिल सकेगी।  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की शंकाओं को दूर करते हुए कहा कि MSP पर खरीद होती थी और होती रहेगी। किसान भाइयों को किसी के कहने पर गुमराह होने की जरूरत नहीं है। MSP रहेगी और हम अभी खरीफ की MSP घोषित करने वाले हैं। मगर विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया।

क्या है इस विधेयक में, ऐसे समझिये

केंद्र सरकार इन विधेयकों के जरिए कृषि सुधारों को बढ़ावा देना चाहती है। नए कानूनों के जरिए किसान जहां चाहेंगे, वहां अपनी मर्जी से फसल बेच सकेंगे। यानी वे अपनी मंडी से दूर किसी अन्य शहर या राज्य की मंडी में भी फसल के दाम पा सकते हैं। इसके अलावा उन्हें ई-ट्रेडिंग की व्यवस्था भी दी गई है, जिससे उन्हें फसल को बेचने के लिए उसे लाना-ले जाना नहीं पड़ेगा। इससे किसान कम उत्पादन वाले राज्यों में अपनी फसल की अच्छी कीमत पा सकते हैं।

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दूसरे विधेयक में प्रावधान हैं कि खेती में किसानों के सामने जो भी जोखिम आएंगे, वह उन्हें नहीं, बल्कि उनसे समझौता करने वालों को उठाने होंगे। यानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। किसान खुद कृषि क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों, होलसेलर, रिटेलर और निर्यातकों से बात कर फसल बेच सकेंगे, जिससे दलाली खत्म होगी। इसके अलावा समझौते में सप्लाई, क्वालिटी और स्टैंडर्ड से जुड़े नियम शर्तें होंगी। अगर फसल की कीमत कम होती है, तो किसानों को तय कीमत तो मिलेगी, अगर फसल अच्छी आती है, तो उन्हें अतिरिक्त लाभ मिलेगा।

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3 तीसरे कानून से कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई चेन के आधुनिकीकरण होगा। यह किसानों के साथ ही उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को एक जैसा बनाए रखेगा। इससे उत्पादन, स्टोरेज, मूवमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म हो जाएगा। युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

क्यों हो रहा है विरोध

विपक्षी पार्टियों और किसान संगठनों का कहना है कि इससे मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और निजी कारोबारियों या बाहरी कंपनियों की मनमानी बढ़ जाएगी। साथ ही कहा जा रहा है कि किसानों की जमीन या खेती पर प्राइवेट कंपनियों का अधिकार हो जाएगा और किसान मजबूर व मजदूर बनकर रह जाएगा। ये भी कहा जा रहा है कि उपज के स्टोरेज से कालाबाजारी भी बढ़ेगी और बड़े कारोबारी इसका लाभ उठाएंगे।

साथ ही कहा जा रहा है कि जब मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगी तो किसान पूरी तरफ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर निर्भर हो जाएंगे। इसका नतीजा ये होगा कि बड़ी कंपनियां ही फसलों की कीमत तय करेगी। कांग्रेस ने तो इसे नया जमींदारी सिस्टम तक बता दिया है।

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