मुंबई : इतनी शक्ति हमें देना दाता…वैसे तो फिल्म अंकुश का गाना है, मगर इसके अर्थपूर्ण बोल के कारण आज देश के कई स्कूलों में इसे प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। इस गीत के रचियता 74 वर्षीय अभिलाष का 27 सितंबर को निधन हो गया। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। उन्होंने ट्यूमर का ऑपरेशन भी कराया था।
जैल सिंह ने कलाश्री सम्मान दिया था
पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उन्हें कलाश्री अवार्ड से सम्मानित भी किया था। सुपरहिट गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ का आठ विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस गीत के अलावा अभिलाष के लिखे सांझ भई घर आजा.., आज की रात न जा…, वो जो खत मुहब्बत में, तुम्हारी याद के सागर में, संसार है इक नदिया, तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर जैसे गीत भी लिखे, जो बेहद लोकप्रिय हुए। अभिलाष 40 सालों से फिल्म जगत में सक्रिय थे। गीत के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी योगदान दिया है। कई टीवी धारावाहिकों की स्क्रिप्ट लिखी है।
इसे भी पढ़ें : दुमका और बेरमो विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव तीन नवंबर को
कई पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं
संवाद लेखन और गीत लेखन के लिए अभिलाष को सुर आराधना अवार्ड, मातो श्री अवार्ड, सिने गोवर्स अवार्ड, फिल्म गोवर्स अवार्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवार्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान और दादा साहेब फाल्के अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। अदालत, धूप छांव, दुनिया रंग रंगीली, अनुभव, संसार, चित्रहार, रंगोली और ओम नमो शिवाय जैसे अनेक लोकप्रिय धारावाहिकों में अभिलाष ने अपनी कलम की छाप छोड़ी है। अभिलाष स्क्रीन राइटर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और आईपीआरएस के डायरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं। उनका जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। छात्र जीवन में ही उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। उन्होंने अपना तखल्लुख ‘अज़ीज़’ रखा था। कई गजलें, कहानियां, कविताएं लिखी हैं।
इसे भी पढ़ें : डॉक्टरों ने शिक्षा मंत्री को दिल्ली ले जाने को कहा, परिजन…