कोरोना लाइव डेस्क : Navratra में मां भगवती की आराधना के समय उपवास के दौरान मौन व्रत से शरीर के भीतर मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होते रहता है। आराधना के दौरान लंबे समय तक दुर्गा सप्तशती का नौ दिनों तक पाठ करने वाले श्रद्धालुओं को शरीर में दिनभर अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। पाठ के बाद मौन व्रत के समय शरीर की ऊर्जा संरक्षित रहती है और इस दरम्यान सभी जैव क्रियाओं के सुचारू रूप से चलते रहने के लिए जितनी ऊर्जा चाहिए, वह आसानी से प्राप्त होती है, इसलिए शारीरिक रूप से कोई परेशानी काम करने में भी नहीं होती है। मौन व्रत से शरीर का इम्युनिटी पावर यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है अर्थात मां भगवती की आराधना के समय हमारी सात्विक अनुभूति कोरोना को हराने के लिए भी हमें सक्षम बनाती है।
- शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का होता है संचार
- सात्विक भोजन के पोषक तत्वों पर रखना चाहिए विशेष ध्यान
- भोजन ग्रहण की अवधि सामान्य से रखें कम, ताकि शरीर को मिलती रहे अतिरिक्त एनर्जी
- उपवास के समय पाचन क्रिया को सशक्त और संतुलित होने का मिलता है अवसर
- कोरोना के कहर को मात देने की क्षमता पैदा करती है मां भगवती की आराधना
Navratra : लौकिक शब्द से दब जाती है ब्रह्म की ध्वनि
Navratra में देवी दुर्गा की आराधना भक्त अलग-अलग प्रकार से करते हैं। कुछ भक्त फलाहार के साथ उपवास रखते हैं, तो कुछ अन्न से बिल्कुल दूर रहकर मौन व्रत का भी पालन करते हैं। बिहार के आरा जिले के बड़हरा प्रखंड के बिंदगावां गांव के 89 वर्षीय भागवत शरण सिंह ने नवरात्र में उपवास के दौरान मौन व्रत के साथ लगातार 40 वर्षों तक देवी दुर्गा की आराधना की है। उम्र बढ़ने के कारण इधर दो सालों से वह इसका पालन नहीं कर पा रहे हैं, पर आराधना करते हैं। उन्होंने उपवास में मौन व्रत के महत्व को लेकर अपना अनुभव कोहराम लाइव से शेयर करते हुए बताया कि लौकिक शब्द हमारी चेतना पर धक्का देते रहते हैं, जिसके कारण ब्रह्म की आवाज सुनाई नहीं पड़ती है। अन्नमय कोष यानी अन्न से बिल्कुल अलग हो जाने पर ब्रह्म की आवाज जब मन के अधिष्ठान तक पहुचती है, तो अपने आप सुनाई पड़ने लगती है। इसकी ऊर्जा से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक चेतना ब्रह्ममय हो जाती है। उपवास के समय की अनुभूति से प्राप्त ऊर्जा शरीर को सभी विकारों से लड़ने की शक्ति देती है।
इसे भी पढ़ें : Mahashtami आज, महागौरी की ऐसे करें पूजा, पापों से मिलेगी मुक्ति
मौन की शक्ति अपार
मौन में अपार शक्ति होती है और यह ज्ञान की गंभीरता की वास्तविकता भी है। कहा भी जाता है कि एक खामोश हजार वाचालों यानी अधिक बोलने वालों अथवा बकबक करने वालों को परास्त कर देता है। मौन का अर्थ यह कभी नहीं होता कि व्यक्ति बोले ही नहीं। जो अच्छा और गहरा ज्ञान रखते हैं, वे गंभीर होकर बोलते हैं और उनका बोलना विषयानुकूल सारगर्भित होता है। कभी-कभी न बोलने को दब्बूपन भी समझा जाता है। यह बिल्कुल गलत है। विनयशीलता अधिक बोलने से बचाती है, मर्यादा की रक्षा करते हुए बोलना मौन की श्रेष्ठता है। देवी भगवती की आराधना हमें भीतर से शांत चित्त रखते हुए वाणी में मर्यादा की रक्षा की सीख देती है। मन को सात्विक रखते हुए सांसारिक दायित्वों को पूरा करने की पवित्र अनुभूति प्रदान करती है, इसलिए इसकी शक्ति अपार मानी जाती है।
पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है उपवास
यदि उपवास के वैज्ञानिक पहलू को देखें तो चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से यह हमारे पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करता है। साथ ही शरीर में बनने वाले सारे विषैले पदार्थों को सहजता से बाहर निकालता है। यदि हम आज के कोरोना संकट के दौर में देखें तो शरीर का इम्युनिटी पावर जितना मजबूत होगा, हम कोरोना से लड़ने में उतने ही सक्षम होंगे। मौन व्रत से मिली ऊर्जा कोरोना को हराने में भी सक्षम है। उपवास के दौरान हमें अपने विशेष खानपान और खुराक पर भी ध्यान देना चाहिए।
शरीर में सुरक्षित वसा देता है अतिरिक्त एनर्जी
उपवास के दौरान भोजन में कार्बोहाइड्रेट की कमी के कारण शरीर में पहले से मौजूद वसा से अतिरिक्त ऊर्जा प्राप्त होती है। लंबे समय तक भूखा रहने के कारण मेटाबॉलिक क्रियाएं कुछ धीमी पड़ जाती हैं। इसके कारण पाचन भी कमजोर हो जाता है। अंत: यह जरूरी है कि हम अपने शरीर के लिए पोषण और उसकी अवधि के साथ-साथ अन्य बातों का भी ख्याल रखें, ताकि आस्था की वजह से हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। चूंकि कोरोना काल में तमाम सावधानियों के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जरूरी है, इसलिए चिकित्सकों और पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि उपवास के समय भोजन में मखाना, दूध, फल और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
खून के विषैले तत्वों को बाहर निकालता है मखाना
मखाने का सेवन करने से हमें कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर आसानी से मिलता है। बहुत देर तक हमें भूख नहीं लगती है। साथ ही इससे पर्याप्त मात्रा में पूरे दिन एनर्जी भी मिलती रहती है। मखाना का यह भी गुण है कि यह हमारे खून के विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। हरी सब्जियों द्वारा हमें विटामिन ए, ई,के और आयरन की मात्रा मिल जाती है, जो शरीर के इम्युनिटी पावर को बढ़ाने में सक्षम है।