कोहराम लाइव डेस्क : कहते हैं मन से की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। इसे चरितार्थ किया है Judicial magistrate परीक्षा में 4th रैंक हासिल करने वाले ravi-shankar ने। संसाधनों के अभाव में भी रविशंकर ने कभी हिम्मत नहीं हारी और लगातार मेहनत कर सफलता हासिल की। रविशंकर आज हर वैसे छात्र के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं, जो संसाधन के अभाव में भी मेहनत से कभी जी नहीं चुराते हैं।
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बिहार के अरवल जिला के पुरान गांव के निवासी रविशंकर ने टाउन हाईस्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई करने के बाद वह जज की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गए। रविशंकर ने कभी भी ना तो परेशानियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और न ही उम्र को। उनका मानना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। रविशंकर ने लगातार ईमानदारी पूर्वक मेहनत कर Judicial magistrate परीक्षा में 4th रैंक हासिल किया। उनके सपने को साकार करने में उनके शिक्षक बिहार के ही डिहरी के आलोक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
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10 वर्षों से बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं : आलोक
रविशंकर के इस सफर को अंजाम तक पहुंचाने में जिस शख्स की बड़ी भूमिका है, वह भी बिहार के ही एक छोटे से शहर से आते हैं। डिहरी के आलोक रंजन के पास भी पढ़ाई के अलावे कुछ नहीं था। अपनी मेहनत के बल पर वह आज कई बच्चों के भविष्य संवारने में लगे हैं। वह दस वर्षों से लॉ इंस्टीट्यूट चलाते हैं। बिहार के होने के नाते वह अपने राज्य के बच्चों पर विशेष ध्यान देते हैं। इस वर्ष उनके ही संस्थान से तैयारी करने वाली उत्तर प्रदेश के एटा की रहने वाली आकांक्षा तिवारी ने पूरे देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है।
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