कोहराम लाइव डेस्क : आज हम आपको एक ऐसे युवा की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, जो संघर्ष कर खुद अपनी सफलता की कहानी लिखी है। गोरखपुर के होनहार युवा वैभव त्रिपाठी वर्ष 2002 में एक सड़क हादसे में पिता स्व. पारसनाथ त्रिपाठी का साया सिर से उठ गया। पिता शिवहर्ष किसान पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। कुछ दिन पूर्व ही दो और भाइयों का भी असामयिक निधन हो गया था। ऐसे में वैभव त्रिपाठी के सामने चुनौतियों का पहाड़ आ खड़ा हुआ, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। चुनौतियों को सामना किया फिर संघर्ष की कलम से सफलता की कई कहानी लिखी। आज वह नगर निगम में सहायक नगर आयुक्त पद पर कार्यरत हैं।
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वैभव ने चुनौतियों से संघर्ष शुरू किया तो इसमें बड़े भाई मनीष त्रिपाठी का काफी सहयोग मिला। इंटर तक की पढ़ाई बस्ती से हुई। दिल्ली में रहकर बीटेक किया। फिर मल्टीनेशनल कंपनी एचसीएल में काफी अच्छे पैकेज पर नौकरी की। इस बीच एआरओ, पीओ आदि कई नौकरियों के लिए उनका चयन हुआ।
जीएसटी एंड कस्टम अधिकारी के रूप में भी वह चयनित हुए। करीब एक साल तक वहां नौकरी की, लेकिन उनकी इच्छा प्रशासनिक सेवा में जाने की थी। लिहाजा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी। उन्हें प्रदेश में 17वीं रैंक हासिल हुई। वहीं सहायक नगर आयुक्त की श्रेणी में प्रदेश में पहली रैंक मिली और वह गोरखपुर में सहायक नगर आयुक्त नियुक्त हुए।
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सात भाषाओं के जानकार हैं वैभव
प्रतिभा के धनी वैभव त्रिपाठी सात भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, अरबी, गुजराती के अलावा जर्मन भाषा के भी जानकार हैं। उनके दो यू-टयूब चैनल vaibhaw tripathi singing star और study for civil services हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं की कराते हैं तैयारी
अपने यूट्यूब चैनल स्टडी फॉर सिविल सर्विसेज में वैभव सिविल सर्विसेज समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के इंटरव्यू के संबंध में जानकारी देते हैं। वैभव कहते हैं कि वह 1000 से ज्यादा प्रतियोगी छात्रों को आईआईटी-जेईई, पीएमटी और सिविल सर्विसेज की तैयारी करा चुके हैं।