कोहराम लाइव डेस्क : स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर चिंतक और समाजवादी विचारधारा के पुरोधा Dr Ram manohar Lohia जी की 12 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। सोशल मीडिया पर राजनीति की बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर उनकी विचारधारा को मानने-समझने वाले लोग भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इससे सुबह से Ram manohar Lohia ट्रेंड कर रहे हैं।
अंबेडकर नगर जनपद, यूपी में हुआ जन्म
Dr Ram manohar Lohia का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या जनपद में (वर्तमान- अंबेडकर नगर जनपद) अकबरपुर नामक स्थान में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक व सच्चे राष्ट्रभक्त थे। ढाई वर्ष की आयु में ही उनकी माताजी (चन्दा देवी) का देहांत हो गया था। उन्हें दादी के अलावा सरयूदेई, (परिवार की नाईन) ने पाला। टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुए। विदेश से उच्च शिक्षा ग्रहण की। फिर भारत लौट कर गांधी जी के अनुयायी बने और आजादी की लड़ाई में सहयोग दिया।
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गैर-कांग्रेसवाद का अलख जगाया
देश में गैर-कांग्रेसवाद की अलख जगाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया चाहते थे कि दुनियाभर के सोशलिस्ट एकजुट होकर मजबूत मंच बनाए। लोहिया भारतीय राजनीति में गैर कांग्रेसवाद के शिल्पी थे और उनके अथक प्रयासों का फल था कि 1967 में कई राज्यों में कांग्रेस की पराजय हुई। हालांकि केंद्र में कांग्रेस जैसे-तैसे सत्ता पर काबिज हो पायी। हालांकि लोहिया 1967 में ही चल बसे, लेकिन उन्होंने गैर कांग्रेसवाद की जो विचारधारा चलायी, उसी की वजह से आगे चलकर 1977 में पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकारी बनी। लोहिया मानते थे कि अधिक समय तक सत्ता में रहकर कांग्रेस अधिनायकवादी हो गयी थी और वह उसके खिलाफ संघर्ष करते रहे।
लोहिया के सात क्रांति इस प्रकार रहे
लोहिया अनेक सिद्धांतों, कार्यक्रमों और क्रांतियों के जनक हैं। वे सभी अन्यायों के विरुद्ध एक साथ जेहाद बोलने के पक्षपाती थे। उन्होंने एक साथ सात क्रांतियों का आह्वान किया। वे सात क्रांतियां थी ये थीं- 1. नर-नारी की समानता के लिए क्रांति, 2. चमड़ी के रंग पर रची राजकीय, आर्थिक और दिमागी असमानता के खिलाफ क्रांति, 3. संस्कारगत, जन्मजात जातिप्रथा के खिलाफ और पिछड़ों को विशेष अवसर के लिए क्रांति, 4. परदेसी गुलामी के खिलाफ और स्वतंत्रता तथा विश्व लोक-राज के लिए क्रांति, 5. निजी पूंजी की विषमताओं के खिलाफ और आर्थिक समानता के लिए तथा योजना द्वारा पैदावार बढ़ाने के लिए क्रांति, 6. निजी जीवन में अन्यायी हस्तक्षेप के खिलाफ और लोकतंत्री पद्धति के लिए क्रांति, 7. अस्त्र-शस्त्र के खिलाफ और सत्याग्रह के लिए क्रांति।
कई पुस्तक-लेख भी लिखे
डॉ राममनोहर लोहिया ने अनेकों विषयों पर अपने विचार लेख और पुस्तकों के रूप में प्रकाशित कीं। उनकी कुछ रचनाएं हैं, अंग्रेजी हटाओ, इतिहास चक्र, देश, विदेश नीति-कुछ पहलू, धर्म पर एक दृष्टि, भारतीय शिल्प, भारत विभाजन के गुनहगार, मार्क्सवाद और समाजवाद, राग, जिम्मेदारी की भावना, अनुपात की समझ, समलक्ष्य, समबोध, समदृष्टि, सच, कर्म, प्रतिकार और चरित्र निर्माण आह्वान, समाजवादी चिंतन, संसदीय आचरण, संपूर्ण और संभव बराबरी और दूसरे भाषण, हिंदू बनाम हिंदू।
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जहां हुई मौत , उन्हीं के नाम पर हो गया अस्पताल
30 सितंबर 1967 को लोहिया को नई दिल्ली के विलिंग्डन अस्पताल में एक ऑपरेशन कराने के लिए भर्ती हुए थे और जहां उनका निधन 12 अक्टूबर 1967 में ही हो गया था, अब उस अस्पताल को लोहिया अस्पताल के नाम से जाना जाता है। उनकी पुण्यतिथि पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।