Khunti : बालू माफिया का राज बेखौफ खूंटी में कायम है। इन्हें रोकने, टोकने या फिर देखने वाला कोई नहीं। दिखावे के लिये कभी कभार बालू से लदे कुछ गाड़ियों को पकड़ा जरूर जाता है, पर कोई ठोस कार्रवाई कभी नहीं होती। बालू माफिया का अपना नेटवर्क है, इन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। जो कोई नेटवर्क में नहीं आता, उसे आउट आफ रेंज कर दिया जाता है। मतलब, उसकी गाड़ियां अगले ही दिन किसी थाने की जब्ती सूची रजिस्टर में नजर आती है। इस बात का खुलासा आज तब हुआ जब खनन विभाग के द्वारा तोरपा के कोटेंगसेरा गांव में भंडारण कर रखे गये 1 लाख 65 हजार घन मीटर बालू को जब्त किया गया।
बड़का बालू माफिया के नाम का खुलासा
खनन निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि जब्त बालू को खूंटी के डीसी के माध्यम से नीलामी की जायेगी। उन्होंने बताया कि आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ से खुलासा हुआ है कि तोरपा के चंदन जायसवाल उर्फ चंदू, अरुण गोप, मनोज यादव, उमेश गोप, नीलांबर यादव, कोटेंगसेरा गांव के उपेंन्द्र गोप उर्फ ओपे, अंबापखना गांव के रूपेश गुप्ता और कर्रा मोड़ तोरपा के शंभू मिश्रा बड़का बालू माफिया है। इन बालू माफियाओं के खिलाफ तोरपा थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। पहले भी तोरपा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, पर बालू तस्करी नहीं रूका।
10 जून से 15 अक्टूबर तक नदी नालों से बालू उत्खनन पर है रोक
खनन निरीक्षक सुबोध का कहना है कि एनजीटी कोलकाता के स्पष्ट आदेश पर मानसून सत्र में 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदी नालों से बालू उत्खनन पर पूर्णतः रोक रहता है, पर खूंटी में बेखौफ नदियों से जेसीबी से बालू का भंडारण किया जा रहा है। बीते 29 जुलाई को कुल्डा गांव के छाता नदी से बालू का अवैध उत्खनन करते हुये एक जेसीबी को चालक सहित पकड़ा गया। वहीं 30 हजार घन मीटर अवैध बालू भी जब्त किया गया, पर बालू माफिया का नहीं पकड़ा जाना चौंका जाता है।
बालू माफिया के नेटवर्क को भेद पाना आसान नहीं
वहीं बालू तस्करी से जुड़े एक शख्स का कहना है कि बालू माफियाओं का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि उसे भेद पाना बहुत आसान काम नहीं। खूंटी में बालू माफियाओं की लिस्ट बहुत लंबी-चौड़ी है। केवल तोरपा के कारो नदी से हर रोज 80 गाड़ियां बालू लेकर निकलती है। इन गाड़ियों का नंबर पहले से उनके पास रहता है, जिनकी जिम्मेदारी इन्हें रोकना है। प्रति गाड़ी 43 हजार रुपये चढ़ावा देना पड़ता है। यह चढ़ावा पांच जगहों तक जाता है। यहां कारो नदी में “गोप” और “खान” की हुकूमत चलती है। नदी से बालू उठाने का काम ट्रैक्टर से होता है। एक ट्रैक्टर वाले को 300 रुपये मिलता है। इसमें से 110 रुपये लेबर को चला जाता है। ट्रैक्टर के जरिये बालू का पहले भंडारण होता है, इसके बाद हाइवा में लोड हो जाता है। बालू तस्करों के किस्से अनेक हैं। ऐसा नहीं है कि खूंटी पुलिस इन तस्करों के कारनामे से अनजान है, पर बिकाऊ सिस्टम के खरीदार के बोली के आगे हर कोई नतमस्तक है।
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