Kohramlive Desk : जीवन में खुशियां बटोरने के लिये अक्सर लोग ज्योतिष विद्या से उपाय ढूंढते रहते हैं। यह उपाय कुछ ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर कुंडली या फिर राशि में भी खोजते रहते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है कबूतर को दाना डालना। मान्यताओं के अनुसार कबूतर को दाना डालना बेहद शुभ होता है, लेकिन इसके डालने के कुछ तरीके हैं, कबूतरों को दाना डालने में भूल-चूक होने पर इसका गलत असर भी देखने को मिलता है।
ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार के हवाले से मीडिया में रिपोर्ट आई है कि जिस शख्स की कुंडली में बुध और राहु का मेल होता है, उस शख्स को अपने छत पर कबूतर को दाना नहीं डालना चाहिये। राहु का संबंध घर की छत से बताया गया है। वहीं कबूतर को दाना देना बुध ग्रह का उपाय माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा जाता है कि इस जगह भी यदि बुध और राहु का मेल हो जाता है तो शख्स की दिमागी हालत तक गड़बड़ा जाती है। कबूतर को छत पर दाना नहीं डालने का एक और कारण यह भी है कि दाना खाते समय कबूतर छत गंदा कर देते हैं। जिससे छत यानी कि राहु दूषित हो जाता है और इसका विपरीत प्रभाव उस शख्स पर ही पड़ता है। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पक्षियों को दाना डालना शुभ माना गया है। मान्यता है कि घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए कबूतर को दाना डालना शुभ है। जिस शख्स के घर के अंदर कबूतर दाना चुगने आता है, वो शख्स की माली हालत सुधर जाती है। मान्यता है कि कबूतर द्वारा घर के अंदर दाना चुगने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। वहीं सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है।
कबूतरों को दाना खिलाने की परंपरा सदियों पुरानी है। खिड़की या टेरेस पर बैठे कबूतर या बालकनी में गुटरगूं करते कबूतर को अक्सर लोग दाना जरूर खिलाते हैं। मंदिरों में तो हजारों कबूतर दाना चुगने के लिये आते हैं। कई महानगरों में तो दाना चुगते कबूतरों के झुंड को देखने सैलानी सेल्फी तक लेते हैं। कबूतरों में कई तरह के वायरस तक होते हैं, जिसे घातक बताया गया है। एंटीजंस यानी बैक्टीरिया-वायरस कबूतर की बीट और उसके पंख तक में होते हैं। जब कोई लगातार इनके संपर्क में आता है तो ये एंटीजंस सासों के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। बैक्टीरिया, वायरस, डस्ट के जरिए ये फेफड़ों में इन्फेक्शन फैला देते हैं। जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उनमें कबूतरों से होने वाले इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उनमें कबूतरों से होने वाले इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। घरों में AC के यूनिट्स बाहर खुले में होते हैं। ये जगह कबूतरों की फेवरेट होती है। कबूतरों की बीट और पंख इसमें गिरते हैं, इसमें मौजूद बैक्टीरिया हवा में सर्कुलेट होकर कमरे में घुस आते हैं, जो धीमा जहर है। ज्यादातर AC खराब भी कबूतरों की वजह से होते हैं। इंफेक्शन से बचने के लिये पब्लिक प्लेस में खुली हवा में कबूतरों को दाना देकर तुरंत लौट जायें। कबूतरों को दाना देने समय कुछ दूरी जरूरी। घर के आंगन, बालकनी या छत पर कबूतरों को दाना खिलाने से बचें।
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