कोहराम लाइव डेस्क: कोरोना के कारण मराठी और हिंदी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री आशालता वाबगांवकर का 22 सितंबर को निधन हो गया। वे 83 साल की थीं। कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से महाराष्ट्र के सातारा में एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती थीं। अभिनेत्री ने 22 सितंबर की सुबह करीब 4.45 मिनट पर आखिरी सांस ली। अभिनेत्री के अनुसार, वे सातारा में अपने मराठी सीरियल ‘आई कलुबाई’ की शूटिंग करने पहुंची थीं। यहां कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद उनका टेस्ट करवाया गया। संक्रमण की पुष्टि और सांस लेने में परेशानी के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाया गया था।
अंतिम संस्कार सातारा में किया जाएगा
कोरोना की वजह से आशालता का अंतिम संस्कार सतारा में ही किया जाएगा।31 मई, 1941 को गोवा में पैदा हुईं आशालता एक मराठी गायिका, नाटककार और फिल्म अभिनेत्री के रूप में प्रसिद्ध थीं। उनकी स्कूलिंग मुंबई के सेंट कोलंबो हाई स्कूल, गिरगांव में हुई थी। 12वीं के बाद कुछ वक्त तक उन्होंने मंत्रालय में पार्ट टाइम जॉब भी किया। इसी दौरान उन्होंने आर्ट में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने नाथीबाई दामोदर ठाकरे महिला विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में एमए किया था। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के मुंबई केंद्र पर कुछ कोंकणी गाने भी गाए।
इसे भी पढे: रिया चक्रवर्ती की ज्यूडिशियल कस्टडी छह अक्टूबर तक बढ़ी
आशालता ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया
आशालता ने 100 से ज्यादा हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम किया। बॉलीवुड में पहली बार वे बासु चटर्जी की फिल्म ‘अपने पराए’ में नजर आईं। इसके लिए उन्हें ‘बंगाल क्रिटिक्स अवार्ड’ और श्रेष्ट सह कलाकार का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। फिल्म ‘जंजीर’ में उन्होंने अमिताभ बच्चन की सौतेली मां का किरदार निभाया था। आशालता ने अंकुश, अपने पराए, आहिस्ता आहिस्ता, शौकीन, वो सात दिन, नमक हलाल और यादों की कसम समेत कई शानदार हिन्दी फिल्मों में काम किया। ‘द गोवा हिंदू एसोसिएशन’ द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘संगीत सेनशैकोलोल’ में रेवती की भूमिका में आशालता ने अपनी नाटकीय करियर की शुरुआत की। मराठी नाटक ‘मत्स्यगंधा’ आशालता के अभिनय करियर में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसमें उन्होंने ‘गार्द सबभोति चली सजनी तू तर चफकली’, ‘अर्थशुन्य बोसे मझला कला जीवन’ गीत भी गाया था।
इसे भी पढे: आंखों से कोरोना की एंट्री का खतरा, चश्मा से संभावना कम