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कॉलेज DropOut स्‍टूडेंट ने बिजनेस की दुनिया में गाड़ा बुलंदी का झंडा

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  • ओडिशा के 24 साल के रितेश अग्रवाल ने नौ साल में खड़ी कर दी 71 हजार करोड़ की कंपनी
  • अब विश्‍व के अमीरों लोगों की लिस्ट में दर्ज कराया नाम

कोहराम लाइव डेस्क : कॉलेज के DropOut स्‍टूडेंट ने बिजनेस की दुनिया में गाड़ा बुलंदी का झंडा। कामयाबी उम्र का इंतजार नहीं करती। इसे अनुभवों के लंबे सफर के मानदंड पर भी नहीं परखा जा सकता। टैलेंट की बात भी बहुत मायना नहीं रखती। आइडिया के क्लिक करने का कोई निर्धारित टाइम नहीं होता। प्रेरणा की धारा कहीं से भी फूटकर कामयाबी का रास्‍ता प्रशस्‍त कर देती है और फिर कामयाबी की बुलंदी अपना स्‍मार्ट रूप धारण कर लेती है। आज के दौर के बिजनेस में ओयो रूम्‍स के फाउंडर रितेश अग्रवाल इसके ताजा उदाहरण हैं। ओडिशा के दक्षिण में स्थित एक छोटे से शहर बिसमकटक में जन्‍मे रितेश ने मात्र नौ साल में 71 हजार करोड़ की कंपनी को खड़ा कर यह साबित कर दिया है कि लगन की ताकत से आदमी कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। इंजीनियरिंग के एक ड्रॉपआउट स्‍टूडेंट की कामयाबी के परचम ने टैलेंट की नई कहानी गढ़ी है।

आज की सच्‍चाई यह है कि हुरून रिच लिस्ट 2020 में ओयो के फाउंडर और 24 साल के सबसे युवा भारतीय रितेश अग्रवाल को भी जगह मिली है। उनकी नेटवर्थ 110 करोड़ डॉलर है, जो करीब 8,000 करोड़ रुपये है। रितेश की ओयो रूम्स देश की कामयाब इंटरनेट कंपनियों की लिस्ट में फ्लिपकार्ट (20 अरब डॉलर) और पेटीएम (10 अरब डॉलर) के बाद तीसरी कंपनी बन गई है। यह उल्‍लेखनीय है कि यह देश की सबसे बड़ी होटल चेन के रूप में भी जानी जाती है।

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कॉलेज DropOut स्‍टूडेंट रितेश बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से प्रभावित

रितेश ने प्रारंभिक स्कूली शिक्षा रायगढ़ के सेक्रेट हार्ट स्कूल से प्राप्‍त की है। बचपन से ही घुमक्कड़ मिजाज के रितेश आज आईआईएम, आईआईटी, एचबीएस और आईवी लीग्स में पढ़े लोगों की टीम का नेतृत्व करने वाले एकमात्र DropOut हैं। वह बड़े विश्‍वास से कहते हैं, भारत में, ड्रॉपआउट का मजाक बनाया जाता है। उसे स्मार्ट और समझदार नहीं समझा जाता है। उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में देश में कुछ और ड्रॉपआउट नाम कमाने के लिए समाने आएंगे। कहा जाता है रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से बहुत प्रभावित रहे हैं और वेदांता के अनिल अग्रवाल को आज भी अपना आदर्श मानते हैं।

काम आया देहरादून और मसूरी का अनुभव

साल 2009 की बात है। रितेश को देहरादून और मसूरी जाने का अवसर प्राप्‍त हुआ। यहां उन्हें लगा कि कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। इसके बाद उन्होंने एक ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा,  जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की सुविधाएं उपलब्‍ध करवाई जा सकें। इसी विचार से वर्ष  2011 में उन्‍होंने ओरावेल की शुरुआत की। इस आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को-फाउंडर बन गए।वर्ष 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली, जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से बुनियादी पूंजी प्राप्त हुई। जब रितेश ने ओरावेल डॉट कॉम की शुरुआत की, तब वह सिर्फ 17 वर्ष के ही थे। आज के समय में ओरावेल एक ऐसा मार्केटप्लेस बन चुका है, जहां अपार्टमेंट्स और रूम्स की 3,500 से भी ज्यादा लिस्टिंग में से हम अपने लिए आरामदायक और अफोर्डेबल कमरों की तलाश सकते हैं। उन्‍हें बुक कर सकते हैं।  यही कंपनी ओयो इन्स (ओयोहोटल्स डॉट कॉम) का भी संचालन करती है, जहां कम कीमत पर हमारे लिए होटल्स की एक बेहतर चेन उपलब्ध है।

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