KohramLive : मंगलवार की शाम को देश के अगले राष्ट्रपति पद के लिए NDA ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगा दी है। भाजपा संसदीय बोर्ड की मीटिंग के बाद उनके नाम पर सहमति बनी। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। मुर्मु अपना नामांकन 25 जून को दाखिल कर सकती हैं। बीते कल उनका जन्मदिन भी था। झारखंड और ओडिशा से गहरा नाता रखने वाली द्रौपदी मुर्मू करुणा, ममता और सादगी की मूरत मानी जाती है। झारखंड में लम्बे समय तक राज्यपाल रहीं। वहीं, ओडिशा में रायरंगपुर से विधायक और मंत्री रह चुकी हैं। वह पहली ऐसी ओड़िया नेता है जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाया गया था। झारखंड की पहली महिला गवर्नर भी बनीं।
कुछ माह पहले ही झारखंड से विदा हुई द्रौपदी मुर्मू का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार की लिस्ट में पहले पायदान पर है। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन जैसे दिग्गज बीजेपी नेताओं का चेहरों में भी झांका जा रहा है। राष्ट्रपति उम्मीदवार पर द्रौपदी मुर्मू का नाम उछलने के बाद सहसा लोग उनकी जीवनगाथा जानने को बेताब हो गये कि आखिर द्रौपदी मुर्मू का अतीत क्या है।
पति का मिला सपोर्ट
उनकी जीवन गाथा झांकने के बाद जो बातें सामने आई उसके अनुसार ओडिशा के एक छोटे से गांव में 20 जून 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू जब 7वीं क्लास में थी तभी इनके गांव में एक मंत्री जी आये। पिता के कहने पर वह अपना सारा शैक्षनिक सर्टिफिकेट लेकर मंत्री जी से मिलने गई, ताकि वह आगे पढ़ सके। द्रौपदी मुर्मू कुछ अलग करना चाहती थी। साथ ही परिवार को फाइनैंशियल सपोर्ट भी। रामा देवी विमेंस कालेज से बीए की डिग्री हासिल करने के बाद सचिवालय में नौकरी शुरू की। शादी के बाद उन्हें नौकरी छोड़ना पड़ा। ससुराल के कुछ लोगों को घर की महिलाओं का नौकरी करना पसंद नहीं था। पति से मिले सपोर्ट और उनसे प्रेरित होकर उन्होंने राजनीति की गलियारे में अपना कदम रखा। वह समाज सेवा करना चाहती थी। उन्हें किसी मंत्री ने सलाह भी दी थी कि अगर वह समाज के लिए कुछ अलग और सेवा करना चाहती हैं तो राजनीति का रास्ता चुनें। सड़क, बिजली, पानी से लेकर हर दिक्कत वह दूर करने में सक्षम हो सकती हैं। 1997 में पहली बार वह नगर पंचायत का चुनाव जीत पार्षद बनीं। एक पार्षद से लेकर राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी महिलाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणा है।
वर्ष 2000 से 2005 तक उड़ीसा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक तथा राज्य सरकार में मंत्री भी रही। बीजेपी और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 मार्च 2002 तक द्रौपदी मुर्मू वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री और 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं। 2015 में उन्हें झारखंड का गवर्नर बनाया गया।
साफ सुथरी है छवि
साफ सुथरी छवि वाली द्रौपदी मुर्मू एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में खुशी जताई थी कि आज की तारीख में महिलाओं में शिक्षा को लेकर काफी लगाव और रुझान है। वह हर सेक्टर में बेहतर कर रही हैं। पुरुष हो या महिला… हर किसी में पोटेंशियल होता है। उन्हें आगे बढ़ने का मौका जरूर मिलना चाहिए।
2 बेटे, पति, मां और भाई ने छोड़ दी दुनिया
साल 2009 में चुनाव हारने के बाद द्रौपदी मुर्मू अपने गांव लौट गई। एक बेटा भुवनेश्वर में पढ़ता था। बेटा की नहीं रहने की खबर ने उन्हें अंदर से तोड़ डाला। तब जमाने ने उनका साथ दिया। उनकी हिम्मत बढ़ाई। लोगों ने उनसे कहा… एक बेटा चला गया तो क्या हुआ, हम सब हैं ना। बीमार तक पड़ गई थी। अचानक जीने की चाह बढ़ी और समाज के लिए कुछ अलग करने की तमन्ना के मजबूत इरादे ने उन्हें एक नई ऊर्जा और ताकत दी। अचानक एक और मनहूस खबर आई कि दूसरा बेटा भी नहीं रहा। कुछ साल बाद यानी 2014 में पति भी चल बसे। मां और छोटा भाई भी दुनिया छोड़ चुके थे। अंदर से बेहद टूट चुकी द्रौपदी मुर्मू को उनके पति की बातें और यादें आगे ले गई। उनके पति चाहते थे कि वह राजनीति में आये और समाज के लिए कुछ अलग करे। पति से मिले सपोर्ट और देश, समाज ने उनका मान बढ़ाया।
इस बार भाजपा अगला राष्ट्रपति अपनी पसंद का बनायेगी। आजादी के बाद से अब तक कोई ट्राइबल राष्ट्रपति नहीं बना। द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी समाज से हैं, ऐसे में उन्हें उम्मीदवार बनाकर भाजपा एक बड़ा संदेश दे सकती है।
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