नई दिल्ली : Ayurveda-Yoga कोरोना को हराएगा। सरकार की ओर से भी अब इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कोविड के क्लीनिकल मैनेजमेंट के लिए प्रोटोकॉल जारी किया है। इसमें कोरोना संक्रमण की रोकथाम, हल्के लक्षण और एसिंप्टोमैटिक मरीजों के इलाज के लिए खान-पान संबंधी उपाय, योग, जड़ी-बूटियों, अश्वगंधा और आयुष-64 के इस्तेमाल की बात कही है।
अश्वगंधा, लौंग, गिलोय से मिलेगा लाभ
डॉ हर्षवर्धन ने कहा, मेडिकल स्टडी से इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना से बचाव में Ayurveda-Yoga फायदेमंद है। अश्वगंधा, लौंग, गिलोय और आयुष-64 जैसी आयुर्वेदिक औषधियां काम आती हैं। स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से एक बयान में कहा गया, रोग निरोधी कदमों वाला यह प्रोटोकॉल न सिर्फ कोविड-19 के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि आधुनिक समय की समस्याओं के समाधान में पारंपरिक ज्ञान को प्रासंगिक बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। नए प्रोटोकॉल में उन विशेष दवाओं की जानकारी दी गई है, जिनके इस्तेमाल से कोरोना मरीजों को लाभ मिलता है। इनमें सबसे प्रमुख अश्वगंधा समेत आयुष-64 को कोरोना वायरस के लिए सबसे ज्यादा कारगर बताया गया है। इसके अलावा नई गाइडलाइन में कोरोना से स्वस्थ हो चुके लोगों के लिए भी पोस्ट-कोविड 19 प्रोटोकॉल जारी किए गए हैं।
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च्यवनप्राश भी है फायदेमंद
आयुष मंत्रालय की ओर से जारी प्रोटोकॉल में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए रोजाना अश्वगंधा का 1-3 ग्राम पाउडर या 500 एमजी एक्सट्रैक्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा गर्म पानी या दूध के साथ प्रतिदिन 10 ग्राम च्यवनप्राश का उपयोग करने के लिए कहा गया है। वहीं कोरोना के बिना लक्षणों वाले मरीजों के लिए आयुष-64 नाम की दवा देने की भी सलाह दी गई है।
कोरोना काल में बढ़ गई योग की महत्ता
श्वसन और हृदय क्षमता में सुधार, तनाव और चिंता को कम करने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए मंत्रालय ने कोविड-19 के पूर्व नियंत्रण प्रोटोकॉल में योग को शामिल किया है। आयुष मंत्रालय के प्रोटोकॉल के मुताबिक कोविड-19 से उबरने के बाद श्वसन तंत्र और फेफड़ों की क्षमता में सुधार तथा तनाव और चिंता कम करने के लिए भी योग मददगार है।
एसिंप्टोमैटिक चीजों का करें सेवन

प्रोटोकॉल के मुताबिक, हल्के लक्षणों वाले और एसिंप्टोमैटिक कोरोना मरीज 15 दिन, एक महीने या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से दिन में दो बार गर्म पानी के साथ अश्वगंधा या इसका चूर्ण, 15 दिन तक लेना चाहिए। दिन में दो बार गर्म पानी के साथ 375 मिलीग्राम गुडुची और पिप्पली और दिन में दो ही बार 500 मिलीग्राम की आयुष-64 टैबलेट लेनी चाहिए। हल्के लक्षणों वाले मरीजों को अगर सांस लेने में तकलीफ न हो या ऑक्सीजन का स्तर कम न हो तो 15 दिन तक या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ 375 मिलीग्राम गुडुची और पिप्पली और दिन में दो ही बार 500 मिलीग्राम की आयुष-64 टैबलेट लेनी चाहिए। इन दवाइयों को लेने के साथ खानपान संबंधी या अन्य नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए।
संक्रमण से बचने के उपाय भी बताए
सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई और हाथों की स्वच्छता के अलावा मास्क पहनना जरूरी है। एक चुटकी हल्दी और नमक को गर्म पानी में डालकर गरारे करें। फला और यष्टीमधु यानी मुलेठी को पानी में उबालकर उससे गरारे करें। अणु तेल, षडबिन्दु, तिल का तेल या नारियल का तेल की बूंदें नाक में डाली जा सकती हैं। गाय के घी को भी दिन में एक या दो बार नाक में डालना चाहिए, खासकर जब घर से बाहर जाना हो और बाहर से घर लौटे हों।
यूकेलिप्टस के तेल, अजवाइन या पुदीने को पानी में डालकर दिन में एक बार भाप लेना चाहिए। कम से कम छह से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। कसरत करनी चाहिए और योग प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। अदरक, धनिया, तुलसी की पत्ती या जीरा डालकर उबाले गए पानी को पीना चाहिए। ताजा, गर्म और संतुलित खाना खाएं। आधा चम्मच हल्दी 150 एमएल गर्म दूध में डालकर रात में पीना चाहिए। अपच होने पर दूध नहीं पीना चाहिए। आयुष काढ़ा या क्वाथ दिन में एक बार लेना चाहिए।
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ऐसे बढ़ा सकते हैं इम्युनिटी
कई आसनों के बारे में बताया गया है, जिनसे सांस संबंधी समस्याएं ठीक होती है और तनाव कम होता है। योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ती है। कोरोना से ठीक हुए लोगों के लिए आसन बताए गए हैं, जिनसे फेफड़े की क्षमता बढ़ती है। चिंता, बेचैनी कम होती है। बुखार के साथ बदन दर्द, सिर दर्द, खांसी, गले की खराश, स्वाद का खत्म होना, थकान, ऑक्सीजन की कमी, डायरिया और दम फूलने की स्थिति में ली जाने वाली कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी बताई गई हैं।
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