Ranchi (Pawan Thakur) : अगर इरादा मजबूत और नेक हो तो किसी भी खूंटे को डगमगाया और उखाड़ा जा सकता है, यह कर दिखाया झारखंड के DGP अजय कुमार सिंह और IG Operation अमोल वेणुकांत होमकर ने। झारखंड में आतंक की गाथा लिखने वाला PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप आज नेपाल में धरा गया। 30 लाख के इनामी दिनेश गोप को गिरफ्तार करने में IG Operation अमोल वेणुकांत होमकर और उनकी टीम की बेहतरीन भूमिका रही। उनकी टीम में NIA और IB के कुछ चुनिंदा अधिकारी भी शामिल थे। IB और NIA के अधिकारियों को दिनेश गोप के बारे में इनपुट मिली था। धीर-गंभीर झारखंड के नए DGP अजय कुमार सिंह ने पद पर आने के बाद कोई लंबी चौड़ी बातें नहीं की, पर वह रह-रह कर चौंका देने वाला रिजल्ट देते रहे। कुछ दिन पहले गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव भी धरा गया। वो भी पिछले एक दशक से फरार था। ADG संजय आनंदराव लाडकर और IG होमकर जैसे तल्ख तेवर और ईमानदार माने जाने वाले ऑफिसर्स DGP के हर कदम पर उनके साथ हैं।
जो फन उठाए रखे, उन्हें कुचल दिया गया
झारखंड पुलिस के ऑपरेशन डबल बुल और ऑक्टोपस ने माओवादियों और उग्रवादियों की कमर की रीड़ तोड़कर रख दी थी। पुलिस के आक्रमक रुख को देख कर कई बड़े हार्डकोर उग्रवादी और माओवादी हथियार डालकर नतमस्तक हो गए और जो फन उठाए रखे, उन्हें कुचल दिया गया। साल 2021 की 17 जुलाई को 10 लाख का इनामी खूंखार शनिचर सुरीन को मुठभेड़ में मार गिराया गया। वहीं, 21 दिसंबर को जिदन गुड़िया को ढेर कर दिया गया। 4 मई 2022 को लाका पाहन इनकाउंटर में मारा गया। वहीं, दिनेश गोप के बेहद करीबी और खास अवधेश जायसवाल उर्फ चूहा और राजेश उर्फ तिलकेश्वर गोप धरा गये। PLFI को करारा झटके पर झटका मिलता रहा। संगठन के छोटे बड़े कई उग्रवादी सलाखों के पीछे डाल दिये गये। सुप्रीमो दिनेश गोप के पकड़े जाने के बाद PLFI का किला पूरी तरह ढहा दिया गया।
17 जनवरी 2022 को हुई थी PLFI की हाई लेवल मीटिंग
लगातार एक से बढ़कर एक झटके पर झटका मिलने और कुंद होती धार से तिलमिलाये उग्रवादी संगठन PLFI की 17 जनवरी 2022 को एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी। संगठन का पुनः विस्तार किया गया।
भाई के मारे जाने के बाद दिनेश गोप ने संभाली थी गिरोह की कमान
एक जमाना था जब दिनेश गोप का बड़ा भाई आतंक का पर्याय था। उसके नाम का खूंटी में आतंक था। साल 2021 में सुरेश गोप खूंटी में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। रांची के तत्कालीन डीएसपी मधुसुदन बारी के नेतृत्व में पुलिस ने उसे मार गिराया था। तब दिनेश गोप फौज में था। वह फौज की नौकरी छोड़ कर अपने घर आ गया। उसका घर खूंटी के कर्रा थाना क्षेत्र के लापा गांव में है। भाई के मारे जाने के बाद दिनेश गोप ने गिरोह की कमान संभाल ली। क्योंकि फौजी था, इस कारण हथियार चलाने में माहिर था। साल 2002 में दिनेश गोप ने JLT (झारखंड लिबरेशन टाइगर) का गठन किया। उसने बागी माओवादियों और उग्रवादियों को अपने संगठन से जोड़ा। वहीं, सम्राट गिरोह के सरगना जयनाथ साहू की मदद से हथियार जुटाना शुरू किया। जयनाथ गिरोह को राधे नाम का एक सिपाही हथियार उपलब्ध करवाता था। वह बिहार के औरंगाबाद का रहने वाला है। एक महिला के मर्डर केस में सिपाही राधे जेल गया था। तब वह रांची सेंट्रल जेल में तैनात था। उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। अर्थ तंत्र का मंत्र भी दिनेश गोप ने जयनाथ साहू से सीखा। लकड़ी, कोयला, बीड़ी पत्ता की तस्करी, लेवी और रंगदारी से संगठन के पास माल बरसने लगा। जिसके बाद जयनाथ और दिनेश के बीच लफड़ा हो गया। दोनों एक दूसरे जानी दुश्मन हो गये। एक बार फिर दोनों की मुलाकात रांची सेंट्रल जेल में संभव है।
पहले भी पुलिस की गोली खा चुका था दिनेश गोप
इससे पहले Dinesh Gope एक बार पुलिस की गोली खा चुका था। पर हर दफा वह बच निकलता था। Dinesh Gope के नाम का ऐसा आतंक था कि उसका नाम सुन ही लोग कांप उठते थे। उसने कई स्कूल और मंदिर बनवाये। गरीब-गुरबों की बेटियों की शादी में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता था। वह ज्यादातर सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करता था। टेक्निकल जानकारी में माहिर दिनेश गोप जिस सिम का इस्तेमाल एक बार कर लेता, उसे फिर दोबारा यूज नहीं करता। PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी की फैली खबर के बाद से उसके पनाहगारों, मददगारों और उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों की नींद हराम हो गई है। कई रसूखदार लोगों से भी उसके गहरे ताल्लुकात थे। Dinesh Gope से दोस्ती और हाथ मिलाने वाले खूंटी के दारोगा मनोज कच्छप को रांची जोन के डीआईजी अनुप बिरथरे ने बर्खास्त कर दिया। दिनेश गोप खुद हमेशा एक मारक दस्ता की हिफाजत में चलता था। उसकी हिफाजत में लगे दस्ते में शामिल उग्रवादी अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद दागने में माहिर थे। साल 2010 में रांची पुलिस एक रॉकेट लॉन्चर जब्त कर चुकी है। यह सदर थाना क्षेत्र से मिला था। कुछ दिन पहले पुलिस ने खूंटी इलाके से उसके एक खास गिरफ्तार गुर्गे के पास से एक जर्मन राइफल और AK-47 बरामद की थी। बरामद जर्मन रायफल के बारे में बताया गया था कि यह हथियार दिनेश गोप खुद इस्तेमाल करता था।
ऐसे धराया PLFI सुप्रीमो
NIA, ATS, IB और झारखंड पुलिस लगातार जानकारी जुटा रही थी। बिहार से आई IB की एक टीम खूंटी से गिरफ्तार गणेश (चूहा के छोटा भाई) को अपने साथ बिहार ले गई थी। वहीं, गिरफ्तार तिलकेश्वर गोप और चूहा से पुलिस को कई क्लू मिले थे। इसके बाद NIA और IB के कुछ चुनिंदा अधिकारियों को नेपाल भेजा गया। पुलिस को सूचना मिली थी कि दिनेश गोप नेपाल में पनाह लिए हुए है। क्योंकि पुलिस के लिए हथियार लेकर नेपाल में घुसना आसान नहीं था, इसलिए NIA और IB के अधिकारियों को वहां भेजा गया था। दिनेश को खोज निकालने में NIA की भी सराहनीय भुमिका रही। दिनेश गोप को पुलिस रांची ले आई है। NIA के पास भी आशीष बत्रा जैसे तेज तर्रार IPS अधिकारी मौजूद हैं। दिनेश गोप के नाम अकूत बेनामी संपत्ति है। झारखंड, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की बेनामी संपत्ति को पुलिस खंगालने में जुटी है। झारखंड पुलिस के एक आला अधिकारी ने सिर्फ इतना कहा – “सूरज भी डूबता है”।
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