कोहराम लाइव डेस्क : Navratri की षष्ठी पूजा के बाद पंडालों में माता की प्रतिमा स्थापित हो गई। पूजा के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है। मां के इस दिव्य स्वरूप की पूजा-अर्चना से विशेष फल की प्राप्ति होती है। सोशल मीडिया पर Navratri पर मां को नमन करने के संदेश शेयर किए जा रहे हैं। लोग महासप्तमी की बधाई एक-दूसरे को दे रहे हैं। झारखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रजरप्पा में मां छिन्नमस्तिका मंदिर में साधक साधना में लीन हैं। यहां रोज भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
शुभ फल की प्राप्ति होती है
मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि की पूजा करने से आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है। शक्ति का यह रूप शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला है। मान्यता है कि मां कालरात्रि ही वह देवी हैं जिन्होंने मधु कैटभ जैसे असुर का वध किया था।
दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले के लिए ऐसा भी कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को किसी भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता। ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर महासप्तमी के दिन कैसे करें कालरात्रि की पूजा और मां का पाएं आशीर्वाद।
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मां कालरात्रि के बारे में जानिए
मां कालरात्रि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक हैं। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है। काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था।
क्रोध पर विजय प्राप्त करती हैं
मां कालरात्रि की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, मां को प्रसन्न कर आप अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। मां कालरात्रि की पूजा करके आप अपने क्रोध पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप की साधना करते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। कालरात्रि का सिद्ध मंत्र, ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
मां की पूजा करने की विधि
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें। फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है। यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें और अंत में मां कालरात्रि की आरती करें।
तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण दिन है
दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन तंत्र साधना करने वाले साधक आधी रात में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं। इस दिन मां की आंखें खुलती हैं। कुंडलिनी जागरण के लिए जो साधक साधना में लगे होते हैं। महा सप्तमी के दिन सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं। देवी की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
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