कोहराम लाइव डेस्क : महापुरुषों के दिए जीवन Mantra हमें सच्चे और अच्छे रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे ही एक महापुरुष हैं गोस्वामी तुलसीदास, जिनके जीवन Mantra से हमें कई सीख मिलती है। जो लोग दूसरों की बुराई करके खुद को महान बताते हैं, वे अपनी ही प्रतिष्ठा खो देते हैं। इस अवगुण की वजह से जब एक बार इज्जत चली जाती है तो लाख कोशिश करने के बाद भी पुराना सम्मान प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
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विवेक, साहस, सत्य बुरे समय के साथी हैं
गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि विद्या, विनय, विवेक, साहस, अच्छे काम, सत्य ये सभी बुरे समय के साथी होते हैं। इन गुणों के साथ श्रीराम पर भरोसा रखने से हर विपत्ति दूर हो सकती है। सुंदर तन, अच्छे गुण, धन, मान-सम्मान और धर्म-कर्म के बिना भी जो लोग खुद को महान समझते हैं, उनके जीवन में परेशानियां अधिक रहती हैं। ऐसे लोग हमेशा दुखी रहते हैं।
अभिमान पाप का मूल है
गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि दया धर्म का मूल है। अभिमान पाप का मूल है। हमें कभी भी दया का भाव नहीं छोड़ना चाहिए और अभिमान से बचना चाहिए। जो लोग मीठे वचन बोलते हैं, उन्हें चारों ओर सुख मिलता है। ये वशीकरण का ही एक मंत्र है। इसीलिए हमें सभी से मीठे बोल बोलने चाहिए। कठोर वचनों से बचना चाहिए।
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दोहावली में हैं सफलता के सूत्र
श्रीरामचरित मानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। तुलसीदास ने इसके अलावा दोहावली, विनय पत्रिका जैसे ग्रंथों की भी रचना की है। दोहावली में बताए गए दोहों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं।
गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म 1554 में सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में राजापुर गांव में हुआ था। अभी 2020 और संवत् 2077 चल रहा है।