बाबा रामदेव की लगन और मेहनत ने 13 हजार रुपयों से पतंजलि को कामयाबी के दमदार मुकाम पर पहुंचाया
कोहराम लाइव डेस्क : कहा जाता है कि लगन और जज्बा हो तो कामयाबी खुद कदम चूमने को बेकरार हो जाती है। हां, कामयाबी के सफर को सुविधाओं के तराजू में तोलने वाले विषम हालात का मुकाबला नहीं कर सकते। आज के योग गुरु बाबा रामदेव को लाखों लोग सफल कारोबारी के रूप में भी स्वीकार करते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अब उन्होंने योग से अधिक कारोबार को महत्व देना शुरू कर दिया है। लोगों की राय चाहे जो हो, बाबा राम देव की योग गुरु के साथ एक सफल कारोबारी की कहानी नयी प्रेरणा की रोशनी दिखाती है, जिसकी हकीकत से रूबरू होना रोचक और रुचिकर है।
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यह सच्चाई है कि साधु से योग गुरु व समाजसेवा के साथ-साथ कर्ज के 13 हजार रुपयों से पतंजलि की बुनियाद रखकर आज कारोबार की दुनिया में शानदार कॉरपोरेटी मकान खड़ा करनेवाले बाबा रामदेव की मेहनत और प्रबंधकीय कौशल ने कमाल की अनूठी मिसाल स्थापित की है। बेशक आज वे बिजनेस जगत के शिखर पर विराजमान हैं। पहले योग के जरिए घर-घर में अपनी पहचान बनाई। हरिद्वार से शुरू कर फिर देशभर के शहर-शहर और विदेश में जाकर योग शिविर लगाए। उनके शिविर बहुत लोकप्रिय रहे। इससे उन्हें अपार शोहरत मिली और भरपूर आर्थिक लाभ भी हुआ। इन कार्यों में बाबा रामदेव का मुख्य उद्देश्य समाजसेवा और लोगों का कल्याण ही रहा। इसी के बल पर वे जनप्रिय हो गए। फिर उन्होंने लोगों को शुद्ध और देसी उत्पाद से जोड़ने के लिए अपनी खुद की कंपनी बनाई और फिर शुरू हुआ पतंजलि के उत्पादों का बाजार। आज पतंजलि दुनिया की सफल कंपनियों में शुमार हो चुकी है। इसके कई उत्पाद देश-विदेश में घर-घर तक पहुंच गए हैं। इनकी मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। पतंजलि की लोकप्रियता का आलम यह है कि वर्तमान में देश के कई शहरों में इसके उत्पादों के छोटे से लेकर बड़े-बड़े आउटलेट हैं। आज बाबा रामदेव को योग गुरु के साथ-साथ सफलतम बिजनेसमैन भी कहा जाता है। कोरोना काल में भी पतंजलि द्वारा बनाई गई दवा कोरोनिल की लांचिंग पर बाबा ने इसे कोरोना के कारगर इलाज की दवा के रूप में घोषणा की थी। कुछ चिकित्सकीय मानदंडों का सवाल उठने पर उन्होंने इसे इम्युनिटी बढा़ने वाली दवा के रूप में बाजार में उतारने की बात कही। जो हो, बाजार में आज भी इस दवा की अच्छी-खासी मांग है।
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योग गुरु से सफल बिजनेसमैन तक का सफर
बाबा रामदेव ने पहले साधना चैनल के जरिए हर घर में लोगों को सुबह-सुबह योगाभ्यास करने की सीख दी। यह कहना कतई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज हर तरफ योग को लेकर इतनी जागरूकता आई है तो इसमें बाबा रामदेव की अहम भूमिका है। उन्होंने योग के जरिए लोगों की सेहत में सुधार लाने का सफल प्रयास किया। इसके बाद देसी उत्पादों के फायदे लोगों को बताए। इसी उद्देश्य से 1995 में पतंजलि का कंपनी के रूप में रजिस्ट्रेशन कर नई शुरुआत की। बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने महज 13 हजार रुपए में पतंजलि का रजिस्ट्रेशन कराया था। कहा जाता है कि उस वक्त इन दोनों के पास सिर्फ 3500 रुपए थे। किसी तरह दोस्तों से कर्ज लेकर रजिस्ट्रेशन शुल्क चुकाया गया। उस वक्त कंपनी में आयुर्वेदिक दवाएं ही बनाई जाती थीं, जो योग शिविर के जरिए लोगों तक पहुंचाई जाती थीं। उन दिनों हरियाणा और राजस्थान के शहरों में हर साल करीब पचास योग कैंप लगाते थे। तब बाबा रामदेव को अक्सर हरिद्वार की सड़कों पर स्कूटर चलाते देखा जाता था। साल 2002 में गुरु शंकरदेव की खराब सेहत के चलते बाबा रामदेव दिव्य योग ट्रस्ट का चेहरा बने, जबकि उनके दोस्त बालकृष्ण ने ट्रस्ट के फाइनेंस का जिम्मा संभाला। कर्मवीर को ट्रस्ट का प्रशासक बनाया गया था। इसके बाद से ही गुरुकुल के जमाने के ये तीनों दोस्त पतंजलि योगपीठ के आर्थिक साम्राज्य को आगे बढ़ा रहे हैं। बाबा रामदेव के ट्रस्ट का मकसद लोगों के बीच योग और आयुर्वेद के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना था। पहली बार उनको जो 50 हजार रुपये का दान मिला था, उसी से उन्होंने आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का कारोबार शुरू किया था। साल 1995 में दिव्य योग ट्रस्ट, साल 2006 में दूसरा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट बना और तीसरा भारत स्वाभिमान ट्रस्ट। बाबा रामदेव एक के बाद एक अपने ट्रस्ट बनाते चले गए और उनका आर्थिक साम्राज्य भी फैलता गया।
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देश के टॉप पांच ब्रांडों में शामिल है पतंजलि, 10561 करोड़ का कारोबार
पांच साल पहले तक सिर्फ आयुर्वेदिक दवाएं बनाने और बेचने वाली पतंजलि कंपनी आज एक विशाल देसी ब्रैंड बन चुकी है। हाल ही किए गए एक सर्वे के अनुसार पतंजलि को भारत के टॉप 10 प्रभावी ब्रांडों में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है। 2011-12 में कंपनी की आय 453 करोड़ रुपए और मुनाफा 56 करोड़ रुपए था। अब इसका कारोबार 10561 करोड़ रुपए का हो गया है।
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