कोहराम लाइव डेस्क : Navratri की पूजा पूरे देश में धूमधाम से की जा रही है। प्रतिदिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है। सोशल मीडिया पर मां को नमन करने का संदेश शेयर किए जा रहे हैं और यह Navratri का चौथा दिन सुबह से ही ट्रेंड कर रहा है।
अष्टभुजा देवी हैं मां कूष्मांडा
Navratri के चौथे दिन माता कूष्मांडा स्वरूप को समर्पित है। ‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘ष्’ का अर्थ है ऊर्जा और ‘अंडा का अर्थ है ब्रह्मांडीय गोला- सृष्टि या ऊर्जा का छोटा सा वृहद ब्रह्मांडीय गोला। माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। आठ भुजाओं वाली कूष्मांडा देवी अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है। इनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृत-पूर्ण कलश, चक्र तथा गदा रहते हैं।
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यश, आयु, आरोग्य और बल देती हैं मां
मां कुष्माण्डा की पूजा करने से व्यक्ति को सभी रोगों और शोकों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उसे यश, आयु, आरोग्य और बल प्राप्त होता है। सच्चे मन से मां की आराधना करने से भक्तों को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है। मां कुष्माण्डा आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। ऐसे में कहा जाता है कि मां की आराधना में भक्तों को हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
ऐसे करें मां की पूजा
मां कूष्मांडा की आराधना के दिन सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान कर लें। फिर हरे रंग के वस्त्र पहनकर माता की चौकी पर मां कूष्मांडा की फोटो या प्रतिमा विराजित कर दीप, धूप और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद मां कूष्मांडा के उपासना मंत्र पढ़कर पूजा करें। फिर मां कुष्मांडा के दिव्य स्वरूप का ध्यान कर उनके मंत्र का जाप करें। अंत में आरती कर दंडवत करें।
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