नई दिल्ली : चार अक्टूबर को होने वाली यूपीएससी की प्रिलिम्स परीक्षाएं नहीं टाली जाएंगी। 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये परीक्षाएं कोरोना के कारण नहीं टाली जा सकती हैं। साथ ही केंद्र सरकार को इस बात पर विचार करने को भी कहा है कि जिन अभ्यर्थियों का यह आखिरी मौका है और अगर वे कोरोना के कारण परीक्षा नहीं दे पाएंगे, तो उन्हें एक और मौका दिया जा सकता है।
छह लाख अभ्यर्थी हो सकते हैं शामिल
जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यूपीएसी सिविल सेवा 2020 की परीक्षाओं को 2021 की परीक्षाओं के साथ मिलाकर करवाने की याचिका भी खारिज कर दी। देश के 72 शहरों में होने वाली सात घंटे की ऑफलाइन परीक्षा में लगभग छह लाख उम्मीदवारों के शामिल होने की उम्मीद है।
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फैसले के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं
आखिरी प्रयास करने वाले उम्मीदवारों को परीक्षा में न बैठ पाने की स्थिति में एक और मौका मिलेगा। आयु सीमा के लिहाज से इस साल परीक्षा में न बैठ पाने वाले उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट मिलेगी। यूपीएससी को स्वास्थ्य मंत्रालय के एसओपी के हिसाब से जरूरी उपाय करने होंगे और सभी को उसकी सूचना देनी होगी। खांसी और जुकाम वाले उम्मीदवारों को परीक्षा में अलग कमरों में बैठाने की व्यवस्था करनी होगी। अलग-अलग राज्यों में वहां के हालात को देखते हुए अलग-अलग एसओपी लागू किए जाएं। अभ्यर्थियों को उनके एडमिट कार्ड के आधार पर होटलों में प्रवेश की अनुमति मिलेगी। अन्य उम्मीदवारों को खतरा न हो, इसके लिए कोरोना से संक्रमित रोगी को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी।
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