- रिलायंस की कामयाबी की कहानी बिजनेस में माइलस्टोन बनाने की देती है प्रेरणा
- अगली जनरेशन के टैलेंट में निवेश से सपनों को लगेंगे पंख
- घीरूभाई अंबानी कहते थे, केवल टेक्सटाइल्स कंपनी बन कर रहने से कुछ नहीं होगा।
- धीरूभाई के पिता ने सिर्फ एक हजार रुपये से शुरू किया था अपना व्यवसाय
नई दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन Mukesh Ambani ने फॉर्मर ब्यूरोक्रेट और बीजेपी नेता एनके सिंह की पुस्तक ‘पोर्ट्रेट ऑफ पावर : हाफ अ सेंचुरी ऑफ बीइंग ऐट रिंगसाइड’ के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए रिलायंस की सफलता की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि किस तरह से जियो शुरुआती सफलता के बाद आज भारत का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है। उनके पिता धीरूभाई अंबानी एक स्कूल टीचर के बेटे थे। वह सिर्फ एक हजार रुपये लेकर कुछ सपनों के साथ मुंबई आए थे और बिजनेस एंपायर खड़ा कर दिया। वे मानते थे कि जो लोग भविष्य के कारोबार और सही टैलेंट में निवेश करते हैं, वे अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। उनके सपनों को पंख लग सकते हैं।
कार्यक्रम में Mukesh Ambani से पूछा गया था यह सवाल
उललेखनीय है कि जून तक जियो के करीबन 40 करोड़ ग्राहक थे। यह सबसे तेजी से बढ़ता बिजनेस और टेलीकॉम सेक्टर है। क्या आप हमें परीक्षण, असफलताओं, सफलताओं और चुनौतियों को बता सकते हैं?
Mukesh Ambani का जवाब : मेरे पिता एक स्कूल टीचर के बेटे थे। वे 1960 में भारतीयों के सपने को पूरा करने के लिए मुंबई आए थे। वह 1000 रुपये और एक विश्वास के साथ आए थे कि अगर आप भविष्य के बिजनेस में निवेश करते हैं, तो अपना खुद के सपना का निर्माण कर सकते हैं। हम सबसे बड़ी कंपनी का दुनिया में निर्माण कर सकते हैं। पहले शुरुआती कुछ सालों में मैंने अपने पिता की ही यात्रा को आगे बढ़ाया और मैंने एक बुक में पढ़ा कि रिलायंस को सरकार द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उस पर जुर्माना भी लगा था।
यह जुर्माना लाइसेंस की क्षमता से ज्यादा प्रोडक्शन पर लगा था और तब के आर्थिक सुधार से लेकर अब तक हम प्रोडक्शन को केवल इंसेटिवाइज कर रहे हैं। आज हम जो कुछ भी कर रहे हैं, सब कुछ प्रोडक्शन से जुड़ा है। इसलिए आप अपना माइंडसेट कितना बदल सकते हैं, यह सोचना चाहिए। अगर आप टेलीकॉम को देखें तो हमारे नजरिये से हमने भविष्य की एक टेक्नोलॉजी को तैयार किया है। यह हमारे पिता का नजरिया था। वे हमेशा कहते थे कि हम केवल एक टेक्सटाइल्स कंपनी बन कर नहीं रह सकते हैं। अगर आप टेक्सटाइल्स से आगे जाने चाहते हैं, तो आपको भविष्य के बिजनेस की ओर जाना होगा। आपको अगली जनरेशन के टैलेंट में निवेश करना होगा। और वही हमने किया।
एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने की जरूरत
एक अन्य सवाल के जवाब में मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत को विकास के लिए मैन्यूफैक्चरिंग के बारे में दोबारा नए सिरे से सोचना चाहिए। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को नए तरीके से परिभाषित करना चाहिए। यह बात अरबपति अंबानी ने एक वर्चुअल बुक लॉन्च के मौके कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने छोटे और मध्यम स्तर यानी एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स पर भी उतना ही फोकस होना चाहिए जितना कि क्लिक्स पर है। बता दें कि अंबानी का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब देश आर्थिक संकट से जुझ रहा है।
देश में बदलाव के लिए तीन लक्ष्य तय किए
मुकेश अंबानी ने कहा कि देश में कुछ मामूली बदलाव के लिए तीन प्रमुख लक्ष्य तय किए हैं। इन लक्ष्यों का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को बदलने के लिए वह तीन मुख्य लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। मुकेश अंबानी का पहला मुख्य लक्ष्य भारत को डिजिटल सोसाइटी में बदलना है। दूसरा देश के एजुकेशन सेक्टर में बदलाव लाना है। उनका कहना है कि किसी भी समय हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम में करीब 20 करोड़ बच्चे रहते हैं। भारत के स्किल आधार को पूरी तरह बदलने में 8 से 10 साल लगेंगे। तीसरा लक्ष्य एनर्जी सेक्टर को लेकर है। इस सेक्टर को लेकर उन्होंने कहा कि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम करने के लिए वह एनर्जी सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करना चाहते हैं।