अशोकनगर : पितृ तर्पण एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए पितृपक्ष शुरू हो गया है जो 17 सितम्बर तक चलेगा। मृतक के पुत्र द्वारा अपने पितर की मृत्यु के दिन-तिथि के अनुसार उन्हें अपने घर आमंत्रित कर विधि-विधान से तुरई के पत्ते में अन्न व जल भेंट कर तर्पण कर रहे हैं।
श्राद्घ पक्ष लगते ही पितरों को तर्पण कराने वालों की भीड़ तुलसी सरोवर तालाब पर लगना शुरू हो गई है। शास्त्रों के अनुसार बहते हुए पानी की धार में दिए जाने वाले तर्पण का विशेष महत्व है, जिसके चलते बुधवार की सुबह से ही वंशज हाथों में डाब, चावल और तिल आदि सामग्री के साथ पितरों के तर्पण के लिए जलाशयों पर पहुंच गए। इस दौरान सिर्फ पितृ देव की पूजा का विधान है, जिसमें मृतक के पुत्र द्वारा ही विधि-विधान से अपने-अपने पितरों को अन्न व जल देकर तृप्त किया जाता है। तभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
न्यौता देकर आमंत्रित करते हैं पितरों को:
पितृ पक्ष के दौरान सभी लोग अपने घर में चांवल आटे का रंगोली बनाकर उसके ऊपर पीढ़ा सजाकर कांसे के लोटा में जल व दातुन रखकर अपने पितर को न्यौता देकर अपने घर आमंत्रित करते हैं। पितृ पक्ष में पुत्रों के द्वारा अपने पितरों के तर्पण एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए उन्हें उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार अपने घर पर आमंत्रित किया जाता है।
कौओं की रही मौज:
शास्त्रों में कौओं को यम का दूत माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इन दूतों को भोजन कराने से यम खुश होते है और भोजन कराने वाले के पूर्वजों का ख्याल स्वर्ग में स्वयं यमराज करते है और उन्हें विपत्तियों से बचाते हैं।
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