नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फ़ेंगहे के साथ मॉस्को में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन एससीओ के साथ उस समय बातचीत की, जब दोनों परमाणु शक्तियों के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा रेखा पर विवाद छिड़ गया था। चीन के बीच पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए के एकतरफा रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर बदलाव लाए जाने के बाद, ये दोनों देशों को बीच की सबसे उच्च स्तर की बातचीत थी।अधिकारियों ने कहा कि चीनी पक्ष ने बैठक की मांग की थी। ये बैठक जिसका विवरण प्रेस में जाने में अभी समय है वह लद्दाख क्षेत्र में ताजा तनाव के हुई थी।राजनाथ ने कहा मैं आज फिर से पुष्टि करता हूं कि भारत एक वैश्विक सुरक्षा वास्तुकला के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जो खुले, पारदर्शी, समावेशी, नियमों पर आधारित और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को ध्यान रखेगा इस वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के अंत की 75 वीं वर्षगांठ के रूप में चिह्नित किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री के बीच हुई करीब ढाई घंटे की बातचीत का मुख्य फोकस लंबे समय से कायम सीमा विवाद को खत्म करना और शांति बहाल करना था। पूरी बातचीत का केंद्र बिंदु पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए बीच का रास्ता निकालने पर ही टिका रहा। शंघाई सहयोग संगठन एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर इस मुलाकात में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वी फेंगे से साफ-साफ कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध से पहले की स्थिति कायम करें। उन्होंने साफ कहा कि शांति के लिए चीन को सेना पीछे हटानी ही होगी। दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी गतिरोध के बीच रक्षा मंत्रियों की यह पहली मुलाकात है। दोनों देशों के रक्षा मंत्री शंघाई सहयोग संगठन एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं। यह मुलाकात इस बैठक से इतर हुई है। दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच मास्को के होटल मेट्रोपोल में मुलाकात हुई जहां चीनी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने के लिए पहुंचे। रक्षा मंत्रियों के साथ उनके देशों के शिष्टमंडल भी थे।
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