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आंखों से कोरोना की एंट्री का खतरा, चश्मा से संभावना कम

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कोरोना को शरीर में पहुंचने के लिए आंख एक अहम रास्ता 

रांची । मेडिकल जर्नल ऑफ वायरोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार कोरोना को शरीर में पहुंचने के लिए आंख एक अहम रास्ता है। नाक और आंख में एक ही तरह मेम्ब्रेन लाइनिंग होने के कारण कोरोना की एंट्री का खतरा बढ़ा। कोरोना पर हुई नई रिसर्च में दावा किया गया है कि वायरस आंखों के जरिए भी शरीर में पहुंच सकता है। हाल ही में हुईं कई रिसर्च इसकी पुष्टि भी करती हैं। रिसर्च करने वाले चीन की शुझाउ झेंगडू हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं का कहना है, जो लोग दिन में आठ घंटे से अधिक चश्मा लगाते हैं उनमें कोरोना का संक्रमण होने का खतरा कम है।

खुली आंख और नाक से संक्रमण का खतरा

रिसर्चर्स का कहना है, हवा में मौजूद कोरोना के कण सबसे ज्यादा नाक के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। नाक और आंख में एक ही तरह की मेम्ब्रेन लाइनिंग होती है। अगर कोरोना दोनों में किसी भी हिस्से की म्यूकस मेम्ब्रेन तक पहुंचता है तो यह आसानी से संक्रमित कर सकता है। इसलिए आंखों में कोरोना का संक्रमण होने पर मरीजों में कंजेक्टिवाइटिस जैसे लक्षण दिखते हैं।

चश्मा से संक्रमण का खतरा कम

चीनी रिसर्चर्स ने 276 लोगों पर रिसर्च की। रिसर्च में सामने आया है, जिन लोगों ने चश्मा नहीं लगाया उन्हें कोरोना के संक्रमण का खतरा अधिक था। रिसर्च के दौरान मात्र 16 लोगों ने चश्मा पहन रखा था। रिसर्चर्स कहते हैं, चश्मा पहनने वाले लोगों का आंकड़ा कम है लेकिन एक बात साफ है कि चश्मा पहनते हैं तो सीधे तौर पर होने वाले संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

कॉन्टेक्ट लेंस से आंखों को सुरक्षा नहीं

अगर आप चश्मा पहनते हैं तो यह बैरियर की तरह काम करता है और संक्रमित ड्रॉपलेंट्स को आंखों में पहुंचने से रोकता है। इसलिए ऐसे चश्मे लगाना ज्यादा बेहतर है जो चारों तरफ से आंखों को सुरक्षा देते हैं। अमेरिका की सबसे बड़ी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, ऐसे हाई रिस्क जोन जहां कोरोना के संक्रमण का खतरा अधिक है, वहां चश्मा पहनें। ध्यान रखें कि कॉन्टेक्ट लेंस आंखों को सुरक्षा नहीं देते।

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